Monday, November 25, 2024

जिंदगी से पाप क्षय करने का एक मात्र माध्यम जिनवाणी: इन्दुप्रभाजी म.सा.

मांगने से पहले अपर्ण करना सीखो, दिया हुआ प्रसाद हो जाएगा: समीक्षाप्रभाजी म.सा.

भीलवाड़ा। जिनवाणी के अलावा ऐसा कोई मंत्र, तंत्र या जप नहीं है जो पाप को खत्म कर सके। वितराग प्रभु की जिनवाणी का श्रवण करके ही आधि, व्याधि मिटाकर समाधि की ओर प्रस्थान किया जा सकता है। कर्मो को क्षय कर मोक्ष जाने की राह जिनवाणी ही दिखाती है। भव भम्रण समाप्त करने का एक मात्र उपाय जिनवाणी है। ये विचार भीलवाड़ा के चन्द्रशेखर आजादनगर स्थित रूप रजत विहार में बुधवार को मरूधरा मणि महासाध्वी श्रीजैनमतिजी म.सा. की सुशिष्या वात्सल्यमूर्ति महासाध्वी इन्दुप्रभाजी म.सा. ने नियमित चातुर्मासिक प्रवचन में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि जिनवाणी श्रवण करने से जीवन के सारे कष्ट मिट जाते है और हमारे पाप कर्म का क्षय होता है। उन्होंने कहा कि हम जो समय पापकर्म बंध करने में बिता देते है वह यदि धर्म के कार्यो में लगा दे तो हमारे इस भव के साथ आने वाला भव भी सुधर जाए। उन्होंने जैन रामायण का वाचन करते हुए भगवान राम के वनवास से जुड़े विभिन्न प्रसंगों की चर्चा की। धर्मसभा में उत्तराध्ययन सूत्र की 21 दिवसीय आराधना के सातवें दिन तत्वचिंतिका डॉ. समीक्षाप्रभाजी म.सा. ने आठवें अध्याय कापिलीय की चर्चा करते पूर्ण करते हुए नवें अध्ययन नमी पव्वज्जा की चर्चा शुरू करते हुए कहा कि बिना सोचे देने वाला शालिभद्र बन जाता है ओर सोच कर मांगने वाला केवली बन जाता है। लोभ व्यक्ति को कातिल बना देता है ओर संतोष व्यक्ति को केवली बना देता है। मांगने से पहले अपर्ण करना सीखो, दिया हुआ प्रसाद हो जाएगा। जीवात्मा अपनी पापकारी दृष्टि के कारण दुर्गति में जाती है। उन्होंने कहा कि स्वयं के द्वारा जीए गए पलों को कषाय ओर मोह विस्मृति के गर्भ में पहुंचा देते है। कई बार व्यक्ति संशय की स्थिति में रहने के कारण मंजिल तक नहीं पहुंच पाता है। इसलिए जीवन में कोई भी शुभ कार्य करें तो उसके परिणाम के प्रति आशंकित न रहे या मन में संशय की स्थिति नहीं बनने दे। उत्तराध्ययन आराधना के माध्यम से 13 नवम्बर तक उत्तराध्ययन सूत्र के 36 अध्यायों का वाचन पूर्ण किया जाएगा। धर्मसभा में आगम मर्मज्ञा डॉ. चेतनाश्रीजी म.सा., मधुर व्याख्यानी डॉ. दर्शनप्रभाजी म.सा., आदर्श सेवाभावी दीप्तिप्रभाजी म.सा., तरूण तपस्वी हिरलप्रभाजी म.सा. आदि ठाणा का सानिध्य भी रहा। धर्मसभा में अतिथियों का स्वागत श्री अरिहन्त विकास समिति द्वारा किया गया। सचंालन युवक मण्डल के मंत्री गौरव तातेड़ ने किया। श्री अरिहन्त विकास समिति के अध्यक्ष राजेन्द्र सुकलेचा ने बताया कि नियमित चातुर्मासिक प्रवचन प्रतिदिन सुबह 8.45 बजे से 10 बजे तक हो रहे है। चातुर्मासकाल में रूप रजत विहार में प्रतिदिन सूर्योदय के समय प्रार्थना, दोपहर 2 से 3 बजे तक नवकार महामंत्र का जाप हो रहा है।

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