जयपुर में लगभग 12 से 15 बड़े सरकारी अस्पताल में
जयपुर। त्योहारों पर हम खुशियां और आत्मसंतुष्टि ढूंढने के लिए बहुत रुपया-पैसा खर्च करते हैं। परंतु फिर भी आत्मतृप्ति नहीं होती, इसका कारण है ,कि शायद पहले जब हम त्यौहार मनाते थे। तो आसपास के लोगों को मिठाइयां-उपहार आदि देते थे, बाद में स्वयं खाते थे। इसी परम्परा और संस्कृति से त्यौहारों की खुशियां और महत्व दोगुना हो जाता था। इसी परम्परा को नये रूप से आगे बढ़ाने की पहल है “एक निवाला खुशियों वाला”
जयपुर में लगभग 12 से 15 ऐसे बड़े सरकारी अस्पताल है। जिनमें प्रत्येक अस्पताल में सैकड़ों की संख्या में मरीज भर्ती रहते हैं। इन मरीजों के साथ आए परिजनों के लिए भिन्न-भिन्न लोग भोजन सेवा करते हैं। परन्तु त्यौहारों के अवसर पर न जाने सब कहां चले जातें हैं और तो और अस्पतालों के आसपास के ढाबे भी बंद हो जाते हैं। साथ ही सड़कों पर लगने वाले छोटे-मोटे ठेले भी गायब हो जाते हैं। ऐसे में मरीज़ों के परिजन, जरुरतमंद व्यक्ति अधिक लाचारी महसूस करते हैं। कईयों को तो भूखे ही रात बितानी पड़ती है। जरा सोचिए जिस दिन हमारा सबसे बड़ा त्योहार हो और उसी दिन किसी को भूखा सोना पड़े? यह निराशाजनक है उनके इस कष्ट को ध्यान में रखकर इस दिवाली के दिन “एक निवाला खुशीयों वाला” की पहल की जा रही है। दिवाली वाले दिन 12 नवम्बर रविवार शाम 4 बजे से जयपुर के सभी सरकारी अस्पतालों को मिलाकर लगभग 5100 थाली मजबूर, लाचार व जरूरतमंदों को निशुल्क पहुंचा कर, हम और आप एक मुस्कान तो इनके चेहरों पर ला ही सकते हैं। उन्हें एक ख़ुशी मिलेगी और आपको वो अनमोल संतोष और आनंद, जो हजारों रुपए खर्च करने पर भी नहीं मिलता। आप सभी सहभागी बनकर अपने त्योहारों को सार्थक बनाएं। हमारे यहां मान्यता है, कि मजबूर जरूरतमंद की सहायता ईश्वर की पूजा के समान है लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। कहा भी गया है, कि आप मंदिर ना भी जा सके तो भूखे को भोजन करा दें या जरूरतमंदों की मदद करें। वह काम भी ईश्वर के प्रति किया गया पवित्र कर्म है।
3100 थाली (Platinum), 2100 थाली (Diamond), 1100 थाली (Gold), 500 थाली (Silver), 100 थाली (Bronze), एक थाली सेवा राशि मात्र 50/- (पूडी, 2 सब्जी, मिठाई और नमकीन)