राम को मानने वाले, रावण का कार्य कर रहे हैं। ऐसा हिंदू राष्ट्र हमें नहीं चाहिए : मुनिश्री आदित्य सागर महाराज
प्रकाश पाटनी/भीलवाडा। विद्यासागर वाटिका में श्रुत संवेगी मुनिश्री आदित्य सागर जी महाराज ससंघ के सानिध्य में आठ दिवसीय कल्पद्रुम महामंडल विधान के दूसरे दिन पूजा अर्चना कर मांगलिक क्रियाएं की गई। भरत चक्रवर्ती एवं सौधर्म इंद्र की जिज्ञासा का जवाब देते हुए मुनिश्री आदित्य सागर जी महाराज ने कहा कि श्रावक- श्रमण के कर्तव्य भिन्न-भिन्न है। लेकिन श्रावक- श्रमण एक दूसरे के पूरक हैं। मुनिश्री ने कहा कि व्यवहार एवं निश्चय दोनों के द्वारा धर्म की रक्षा करना है। ऐसे वचनों से दूर रहें कि पाप का बंध ना हो जाए। जिन शासन- जिन आयतनों पर उपसर्ग आए, तब अपने प्राणों की चिंता मत करना। मुनिश्री ने कहा कि आज गिरनार तीर्थ क्षेत्र को लेकर एक अज्ञानी पूर्व भाजपा सांसद महेश गिरी ने जैन मुनि के सिर अलग कर देने का भाषण का प्रयोग किया एवं जैन समाज को उदलित किया। मुनिश्री ने कहा कि राम को मानने वाले रावण का कार्य कर रहे हैं। यह राम भक्त नहीं है। दुराचारी राजनेता है। रामकृष्ण, गीता, वेद पुराण में दिगंबर मुनियों की महिमा बताते है। मुनिश्री ने कहा कि गिरनार हमारा है, हमारा ही रहेगा। इस पंचम काल में गौर उपसर्ग आएंगे। आज जैन समाज को एकता के साथ रहना है। नहीं तो धर्म आयतन नहीं बचेंगे। उन्होंने ने कहा कि ऐसे हिंदू राष्ट्र हमें स्वीकार नहीं है। कुछ दिनों पूर्व प्रधानमंत्री ने जैन धर्म जिनशासन की महिमा बताई थी, लेकिन आज वह चुप क्यों है। मुनिश्री ने कहा कि गिरनार क्षेत्र पर प्रतिवर्ष एक साधु का चातुर्मास होना चाहिए एवं वहां सिद्ध चक्र मंडल विधान ऐसे अनुष्ठान भी होने चाहिए। उसका प्रभाव देखने को मिलेगा। उन्होंने कहा कि हम मौन अहिंसक है। लेकिन कायर नहीं है। आज मीडिया बिक चुका है। उसे खरीद लिया गया है। नेता लोग फोटो खिंचवाकर चले जाते हैं। उन्हें आशीर्वाद किस बात का। उन्होंने कहा कि चुनाव में वोट के पहले इस घटना की राजनेताओं को विरोध दर्ज करना चाहिए। जिन शासन के प्रति कर्तव्य एवं समर्पण जरूरी है। संस्कारवान ही जिनशासन के प्रति समर्पित हो सकता हैं।