Saturday, November 23, 2024

राष्ट्र निर्माण में संत और पत्रकारों की अहम भूमिका : मुनिश्री विरंजन सागर जी

सागर मे हुआ संभागीय पत्रकार सम्मेलन

सागर । रत्नेश जैन बकस्वाहा। पूज्य जैन संत मुनि श्री विरंजन सागर जी महाराज ससंघ के सानिध्य में सम्भागीय पत्रकार सम्मेलन का आयोजन अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन परिषद की मप्र.शाखा तथा श्री गौराबाई दिग.जैन मंदिर समिति सागर के तत्वावधान में वर्णी वाचनालय सागर में आयोजित किया गया। सम्मेलन के प्रारम्भ मे आचार्य श्री विद्या सागर महाराज तथा आचार्य श्री विराग सागर महाराज के चित्र का अनावरण एवं दीप प्रज्वलन अतिथि सुनील जैन पूर्व विधायक , श्रीमति निधि जैन आचरण सम्पादक ,कैलाश चंद्र दाऊ वरिष्ठ समाजसेवी, मुकेश जैन ढाना वरिष्ठ पत्रकार , राजेश रागी वरिष्ठ पत्रकार बकस्वाहा एवं गौराबाई मंदिर समिति के पदाधिकारी राकेश चच्चा जी ,सुदेश तिवारी, हरी चौवे द्वारा किया गया तथा मंगलाचरण की प्रस्तुति अनोखी पडेले दी। पत्रकार संगोष्ठी का मुख्य विषय “भारतीय संस्कृति के उत्थान में पत्रकारों की भूमिका” विषय पर प्रमुख रूप से सुनील जैन पूर्व विधायक, मुकेश जैन ढाना, राजेश रागी बकस्वाहा, आशीष जैन,राजेंद्र जैन अटल दमोह, कवीश सिंघई पथरिया, अजय सराफ,कार्यक्रम के संयोजक मनीष विद्यार्थी शाहगढ़ व अखिल जैन सागर सहित सम्भाग के कई पत्रकारों ने अपने विचार रखें। पत्रकार सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुनि श्री विरंजन सागर महाराज ने कहा कि राष्ट्र एक व्यापार नही एक परिवार है, जहां संतों और पत्रकारों के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। पत्रकारों के पास कलम हैं और संतों के पास कमंडल है ,कलम और कमण्डल के संयुक्त आभामंडल से राष्ट्र की जय जयकार हो सकती हैं। मुनिश्री ने कहा कि हम आगम की वाणी को अपने माध्यम से पूरी दुनिया में बोलकर प्रचारित करते हैं और आप कलम के जरिए उस बात को जन जन तक पहुंचाते हैं, इस तरह पत्रकार और संतों का संयुक्त योगदान हो जाय तो राष्ट्र का कल्याण हो सकता है। संत और पत्रकार राष्ट्र के निर्माण में विशेष भूमिका निभा सकते हैं।

उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में पत्रकारों की आवश्यकता अनादि काल से ही रही है, देव ऋषि नारद को उन्होंने दुनिया का पहला पत्रकार कहा ,उन्होंने कहा भारत देश में राम ,महावीर और कृष्ण जैसे महापुरुषों ने जन्म लिया है ,इस देश को सोने की चिड़िया कहा जाता था, आज भारत की संस्कृति पर पश्चिमी सभ्यता हावी हो गई है। उन्होंने कहा जो लोग अपने माता पिता को वृद्धाश्रम में छोड़ देते हैं उन लोगों का नाम और उनकी तस्वीर अखबारों में आनी चाहिए ताकि सारी समाज को पता चले इस समाज में कैसे-कैसे लोग रहते हैं। उन्होंने कहा अगर किसी जैन संत का फोटो फेसबुक पर डाल दिया जाए तो फेसबुक संबंधित व्यक्ति की प्रोफाइल लाँक कर देते है और उस पर लिखा आता है कि यह हमारी संस्कृति के अंतर्गत नहीं हैं ,तो मैं ऐसे लोगों से कहना चाहता हूं कि दिगंबर मुद्रा तो भारत की संस्कृति है ,इस देश में हमेशा जैन संत हुए व होते आ रहें हैं ,जैन संत का बिछौना जमीन और चादर आसमान ही होता है ,इसके विपरीत जब फिल्मों की अश्लील तस्वीरें फेसबुक पर वायरल की जाती हैं तब ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं लगाया जाता है, यह विषय सोचनीय है।
मुनि श्री के पूर्व छुल्लक विसौम्य सागर जी महाराज ने कहा कि पहले खबर आती थी अब न्यूज़ आती है, समाचार का अर्थ है होता है सम और आचार अर्थात जो सम्यक विचारों को बतलाए वही समाचार है। उन्होंने कहा हमेशा अच्छा देखो ,अच्छा बोलो ,अच्छा सुनो ,यदि आप सबके साथ अच्छा करते हैं तो आपके साथ भी अच्छा होगा। उन्होंने कहा संत सबसे बड़े पत्रकार होते हैं जो पूरे देश में अच्छी बातों को फैलाते हैं।
पत्रकार हुए सम्मानित
इस सम्मेलन में सागर संभाग से आमंत्रित पत्रकारों को प्रशस्ति पत्र स्मृति चिन्ह, श्रीफल, वस्त्र, माला, साहित्य व किट से सम्मानित किया गया ,वहीं मुनिश्री ससंघ का मंगल आशीष प्राप्त हुआ । इस सम्मेलन मे सम्भाग के 70 जैन जैनेत्तर पत्रकारों ने भाग लिया।

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