गुंसी, निवाई। श्री दिगम्बर जैन सहस्रकूट विज्ञातीर्थ, गुन्सी (राज.) क्षेत्र पर गणिनी आर्यिका विज्ञाश्री माताजी के ससंघ सान्निध्य में चल रहे दस दिवसीय महार्चना एवं विश्वशांति महायज्ञ जाप्यानुष्ठान के अंतर्गत अन्तिम दिन की आराधना करने हेतु भक्तों का ताता लगा हुआ था। मनोवांछित तात्कालिक फल प्रदायक श्री श्री जिनसहस्रनाम महार्चना कराने का सौभाग्य कंवरपाल जयपुर, ताराचन्द निवाई, नरेश जयपुर, रमेश उनियारा वालों ने प्राप्त किया। इसी बीच गुरु मां मंगल आशीर्वाद प्राप्त करने हेतु सवाईमाधोपुर से महावीर बज, नरेश बज व सुरेन्द्र पांड्या का सहस्रकूट विज्ञातीर्थ पर पदार्पण हुआ। गुरु माँ के पाद-प्रक्षालन एवं शास्त्र भेंट कराने का सौभाग्य आज के चातुर्मास कर्ता परिवार ने प्राप्त किया। इसी के साथ संघस्थ आर्यिका 105 ज्ञेयकश्री माताजी का 3 रां गुरु उपकार दिवस बड़े उत्साह के साथ मनाया गया। पूज्य माताजी ने सभी को उद्बोधन देते हुए कहा कि – आज जमाना नहीं बदला अपितु हमारी सोच बदलती जा रही है। सोच के अनुसार हमें वस्तु उस रूप दिखाई देती है इसलिए कहा जाता है जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि। दुख की मूल जड़ हमारी सोच और इच्छा है। अपनी इच्छाओं पर कंट्रोल करना सीखो, साधनों में नहीं साधना में रहना सीखो। लोगों में साधना नहीं होती योगों में साधना होती है। धर्म सुविधाओं में नहीं होता, कष्टों में होता है। अपनी सोच में स्वार्थपना नहीं होना चाहिए। स्वार्थ से किया गया धर्म हमें फल नहीं देगा। सृष्टि को बदलने का प्रयास मत करो अपनी दृष्टि को बदलने की कोशिश करो। अपने नजारे को बदलो किनारे बदल जायेंगे। मिथ्यादृष्टि की नहीं सम्यग्दृष्टि की सोच बनाओ क्योंकि 1 मिनट में जिंदगी नहीं बदलती लेकिन 1 मिनट की सोच से पूरी जिंदगी बदल जाती है।