स्वयं से साक्षात्कार है सिद्धार्चना: ब्र. जय निशांत
ललितपुर। प्रागैतिहासिक अतिशय क्षेत्र नवागढ़ विकासखंड महरौनी में प्रतिष्ठा पितामह पंडित गुलाबचन्द पुष्प जन्म शताब्दी महोत्सव वर्ष के अन्तर्गत चल रही अष्ट दिवसीय सिद्धार्चना में मंगलवार को 512 अर्घ्य भक्ति- श्रद्धा के साथ विधान के पात्रों एवं श्रद्धालुओं ने समर्पित किए। कमेटी के प्रचारमंत्री डॉ. सुनील संचय ने बताया कि विधान में विश्व शांति के लिए मंत्रोच्चार के बीच शांति धारा की गई। शांतिधारा का सौभाग्य पुष्प परिवार को प्राप्त हुआ। इंद्र इंद्राणियों ने नृत्य कर प्रभु के सम्मुख अर्घ्य समर्पित किए। आयोजन में महायज्ञनायक शिखरचंद जैन-पुष्पा जैन टीकमगढ़, सौधर्मेन्द्र अविनाश जैन- अलका जैन बेंगलुरु, कुबेर इंद्र आलोक जैन-विधु जैन रांची, यज्ञनायक राजकुमार जैन- समता जैन इंदौर, संजय जैन-अनुपमा जैन भिलाई, ईशान इंद्र कमल जैन-चंदा जैन लार, सनतइंद्र राकेश जैन-रश्मि जैन घुवारा, महेन्द्रइन्द्र चक्रेश जैन-प्रीति जैन छतरपुर को बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। इस मौके पर ब्र. जय निशांत भैया ने कहा कि श्रावक पूजा एवं गुरु उपासना में स्वयं के कर्ममल का प्रक्षालन करके स्वयं से साक्षात्कार करने का उपक्रम करता है। पूजा के अष्ट द्रव्य का उद्देश्य भी सिद्धों की आराधना एवं सिद्धों जैसा होने की मांगलिक क्रिया है। हमें देवार्चना लौकिक कामनाओं से परे मात्र कर्म क्षय के निमित्त से ही करना चाहिए। यह विधान भक्ति के माध्यम से कर्म चक्र को तोड़कर मोक्ष प्राप्ति का मार्ग है। आभार महामंत्री वीरचन्द्र जैन नेकौरा ने व्यक्त किया। आयोजन में श्री प्रबंधकारिणी समिति प्रागैतिहासिक अतिशय क्षेत्र नवागढ़,श्री नवागढ़ गुरुकुलम् कार्यकारिणी समिति ने समागत अतिथियों का स्वागत किया। संगीतकार पुष्पेन्द्र जैन एण्ड पार्टी ने विधान में मधुर संगीत दिया।