गुंसी, निवाई। प. पू. आर्यिका विज्ञाश्री माताजी के आशीर्वाद से नवनिर्मित श्री दिगम्बर जैन सहस्रकूट विज्ञातीर्थ , गुन्सी (राज.) क्षेत्र पर दस दिवसीय महार्चना एवं विश्वशांति महायज्ञ जाप्यानुष्ठान का लाभ यात्रीगण प्रतिदिन ले रहे हैं। रोग – शोक बाधा निवारक , मनोवांछित फलदायक श्री भक्तामर महार्चना कराने का सौभाग्य श्रावकश्रेष्ठी जिनेंद्र सेठी मिलाप नगर जयपुर , प्रमोद जैन दादूदयाल नगर जयपुर, अशोक जैन मालपुरा एवं सकल दिगम्बर जैन समाज हीरा पथ, जयपुर वालों ने प्राप्त किया । संगीतमय लहरों के साथ भक्तों ने भक्ति का आनन्द लिया। गुरु माँ के पाद – प्रक्षालन एवं शास्त्र भेंट का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। दशहरा (विजयादशमी) के अवसर पर श्री श्री जिनसहस्रनाम महार्चना का महाआयोजन होने जा रहा है। पूज्य माताजी ने सभी को संबोधन देते हुए कहा कि – सार्थक और सकारात्मक जीवन जीने के लिए ज्यादा परिश्रम की जरूरत नहीं है। अकसर लोग इसके लिए भटकते फिरते हैं, जबकि हर इंसान के पास दिमाग है जो पूरे शरीर को तो संचालित करता ही है और वही जीवन की यात्रा भी तय करता है। कोई विपरीत स्थितियों और परिस्थितियों के बावजूद अपने दिमाग का सही और सटीक प्रयोग करके ऊंची उपलब्धियां हासिल कर लेता है और कोई सारी सुविधाओं के बावजूद असफल रहता है। हर व्यक्ति को सबसे पहले सुनने की आदत डालनी चाहिए। जो व्यक्ति सुनता कम है और बोलता ज्यादा है, वह आगे बढऩे के तमाम अवसरों से चूक जाता है। हमारे ऋषियों मुनियों ने शुभ और सुखद सुनने की कला बताई है। जब व्यक्ति विद्वानों, श्रेष्ठजनों और गुरुओं की बातें सुनता है तो शब्द रूपी ब्रह्म कानों से प्रवेश कर मस्तिष्क में रासायनिक परिवर्तन करते हैं। मस्तिष्क में अच्छी-अच्छी बातें आती हैं। वहीं खराब और बुरी बातें सुनने के बाद प्राय: झगड़े-फसाद हो जाते हैं। ज्ञान से चिंतन-मनन का भाव पैदा होता है।