Saturday, September 21, 2024

धर्म जागृति युवा मंडल ने संत जनों की सानिध्य में किया श्री जी का 400 वॉ महाअभिषेक

मुरैना/अंबाह। धर्म जागृति युवा मंडल दिल्ली द्वारा 400वाँ अभिषेकोत्सव कार्यक्रम बड़े ही धार्मिक वातावरण में धूमधाम से आचार्य वसुनंदी जी महाराज के शिष्य युगल मुनि शिवानंद जी एवं मुनि श्री प्रश्मानंद जी महाराज के सानिध्य में कम्युनिटी हॉल,उत्तम नगर में आयोजित किया गया जिसमे लगभग 150 से अधिक सदस्यों ने श्री जी का अभिषेक करके पुण्य लाभ लिया। अध्यक्ष गौरव जैन ने बताया कि त्रिदिवसीय कार्यक्रम में प्रथम दिवस महाराज जी का भव्य मंगल प्रवेश उत्तम नगर में करवाया गया जिसमें लगभग 400 क्षृद्धालुओं ने सम्मिलित होकर धर्म लाभ लिया। दिव्तीय दिवस शाम को भजन संध्या में सब लीन होकर जयपुर के संगीतकार नरेंद्र कुमार जैन के भजनों पर झूम रहे थे।सबने खूब ही आनंद लिया इस मौके पर डीजेवाईएम के सदस्यों को उनके कार्यों एवं कार्यशैली के अनुसार पुरस्कृत किया गया। आयोजन के अंतिम दिवस सुबह जब 150 से अधिक युवा 52 प्रतिमाओं को लेकर शोभा यात्रा में चल रहे थे वो मनमोहक, शानदार दृश्य सबके हृदय में बस गया है। अभिषेक पश्चात सभी ने नंदीश्वर दीप विधान भी किया। इस दौरान मुख्य अतिथि के रूप में सीए कमलेश जैन(गुरुग्राम), संजय जैन (अध्यक्ष,विश्व जैन संगठन), सुदीप जैन (गुरुग्राम) ने उपस्थिति दे कर युवाओं का उत्साह वर्धक किया। इस पुण्य कार्य मे पालम, नजफ़गढ़, विकासपुरी, जनकपुरी, द्वारिका, रोहिणी, नोएडा, मयुरविहार, गुरुग्राम, ग्वालियर एवं अनेक स्थानों से भक्त गण मौजूद रहे। आयोजन में कमलेश जैन सीए, सुदीप जैन गुरुग्राम, संजय जैन संजय जैन अध्यक्ष विश्व जैन संगठन ने कहा कि धर्म जागृति युवा मंडल द्वारा समस्त जैन समाज में धर्म वृद्धि हेतु प्राचीन परंपराओं के निर्वाहन का दायित्व निभाना एक उच्च कोटि का धार्मिक कार्य है समस्त ग्रुप द्वारा निरंतर 400 वां श्री जी का अभिषेक कर पुण्य अर्जित करने पर हार्दिक बधाई एवं धर्म लाभ प्राप्ति की शुभकामनाएं हमारे प्राचीन धर्म ग्रंथो के अनुसार अभिषेक एक उत्कृष्ट कोटि का विधान है तीर्थकर भगवान की जल पूजा विघ्न विनाशिनी पूजा कही जाती है। देवों और इन्द्रों के द्वारा मेरु पर्वत पर परमात्मा का जन्म अभिषेक किया जाता हैं देवों ने जैसे भावों से परमात्मा का अभिषेक किया था। उससे भी बढकऱ भावोल्लास लाकर अभिषेक विधान करने वाली आत्मा खुद की आत्मा पर लगे कर्मों को धोकर निज स्वरूप को प्राप्त करने वाली बनती है। इस प्रक्रिया में अभिषेक प्रभु का और कर्मनाश हमारी खुद की आत्मा का होता है।

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