लीला मंचन में रावण बाणासुर संवाद
विराटनगर। कस्बे में स्थित रामलीला मैदान में श्री अवधेश कला केंद्र राम लीला मंडल के तत्वावधान में चल रही 15 दिवसीय लीला मंचन के दौरान सोमवार को रावण बाणासुर संवाद एवं धनुष यज्ञ की लीला दिखाई गई। मंडल के महासचिव मामराज सोलंकी ने बताया कि प्रसंग के अनुसार महाराजा जनक ने अपनी पुत्री सीता के स्वयंवर हेतु प्रतिज्ञा करी कि जो भी राजा शिव धनुष पर चाप चढ़ाएगा, उसी के साथ पुत्री सीता का स्वयंवर होगा। इस बात को सुनकर देश-विदेश के अनेक राजाओं ने स्वयंवर में भाग लिया। इसी के चलते लंकाधिपति रावण ने अकेले में मौका देखकर धनुष को उठाने का प्रयास किया, परंतु उठाना तो दूर उसकी अंगुली धनुष के नीचे आ गई। यह नजारा बाणासुर ने देखा तो दोनों के मध्य तीखी नोंक झोंक हुई। स्वयंवर में सभी राजाओं ने अपनी ओर से जोर आजमाइश की परंतु किसी ने भी धनुष तो उठाना दूर उसे हिला भी नहीं सके। और निराश होकर सभी राजा वापस लौट पड़े। जिस पर राजा जनक चिंतित होकर कहा की यह पृथ्वी वीरों से खाली है यह बात सुनकर सभा में बैठे लक्ष्मण क्रोधित हुए। परंतु मुनि विश्वामित्र ने उन्हें शांत कर भगवान श्री राम को राजा जनक के संताप को दूर करने हेतू आज्ञा प्रदान की। जिस पर भगवान श्री राम ने शिव धनुष को तिनके की तरह उठाकर उसका भंजन कर डाला। और माता सीता ने भगवान श्री राम क़ो वरमाला पहनाया। लीला मंचन के दौरान मां दुर्गा की भव्य झांकी दिखाईं। जिसमें आगंतुक अतिथियों ने आरती उतारी। इस दौरान प्रदीप शर्मा ने राम, गणेश योगी ने लक्ष्मण, दिनेश मुद्गल ने रावण, उमाशंकर शर्माने बाणासुर, पवन बरीठ ने जनक, मुकेश सैनी ने विश्वामित्र का किरदार निभाया।