Saturday, November 23, 2024

पं. श्रीदेवकीनंदन ठाकुरजी महाराज के मुखारबिंद से श्रीमद् भागवत कथा की पूर्णाहुति

पूर्णाहुति पर छाया भक्ति का रंग झूम उठे हजारों भक्त एक संग

व्यास पीठ से बच्चों को सनातनी संस्कार देने का संदेश, समझाया मित्रता का महत्व

भीलवाड़ा। सुनील पाटनी । हर चेहरा खुशी से सराबोर था और कदम थिरक रहे थे। बच्चें हो या बुर्जुग, संत हो या भक्त कोई नृत्य करने से पीछे नहीं रहना चाहता था। व्यास पीठ से कथा करा रहे पूज्य शांतिदूत पं. श्रीदेवकीनंदन ठाकुरजी महाराज रंग मत डाले रे सांवरिया म्हाने गुजर मारे रे भजन गा रहे थे तो एक साथ हजारों भक्तों ने नृत्य का ऐसा समा बांधा की कोई भी भक्ति रस के इस सागर में डूबने से खुद को नहीं रोक पाया। कथा पांडाल में भक्तों का सैलाब उमड़ा हुआ था और हर तरफ राधे-राधे की गूंज ही थी। ये नजारा मंगलवार शाम हनुमान टेकरी काठियाबाबा आश्रम में श्री टेकरी के हनुमानजी भागवत कथा समिति के तत्वावधान में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान गंगा महोत्सव की पूर्णाहुति के अवसर साकार हो गया। ऐसा लगा मानों कथास्थल काठियाबाबा आश्रम ही नंदगांव और वृन्दावन बन गया हो। व्यास पूजन के साथ कथा की विधिवत पूर्णाहुति हुई एवं कथा सुनने आए हजारों श्रद्धालुओं के लिए विशाल भंडारे का आयोजन किया गया। अंतिम दिन मंच पर कथा के प्रेरणास्रोत हनुमान टेकरी के महंत बनवारीशरण काठियाबाबा के सानिध्य में कथावाचक श्री देवकीनंदन ठाकुरजी महाराज ने श्रद्धालुओं को द्वारिका लीला, सुदामा चरित्र, परीक्षित मोक्ष सहित विभिन्न प्रसंगों के माध्यम से भागवत श्रवण का महत्व समझाया। उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा श्रवण का उद्ेश्य सर्वकल्याण है। सात दिन में जो बात अच्छी लगी हो उसे दिल में उतारे और जो बात अच्छी नहीं लगी हो उसे यहीं छोड़ देना। सनातन धर्म के प्रति पूर्ण समर्पित रहने का आह्वान करते हुए कहा कि बच्चों को अपने धर्म के प्रति गर्व से बताओं और उसे सनातन संस्कृति के प्रति जागरूक करों। सनातन धर्म पर गौरव का अहसास करने में कोई संकोच नहीं करे और गर्व से कहे हम सनातनी है। जो संस्कार पूर्वजों से आपको मिले वह बच्चों में जाने चाहिए उन्हें वेद पुराणा का ज्ञान होना चाहिए। ये कथाएं हमे सही रास्ता दिखाती है कि जीवन में क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए। कथा के दौरान मंच पर हनुमान टेकरी महंत बनवारीशरण काठियाबाबा, महंत गोपालशरण काठियाबाबा झांसी, महंत राधारमण शरण काठियाबाबा गोरधन,संकट मोचन हनुमान मंदिर के महंत बाबूगिरी महाराज, निम्बार्क आश्रम के महंत मोहनशरण, घोड़ास के महंत मंगलदासजी आदि का भी सानिध्य रहा। आयोजन समिति के मीडिया प्रभारी राजेश तोषनीवाल ने बताया कि मुख्य अतिथि राजस्थान बीज निगम के अध्यक्ष (राज्यमंत्री) धीरज गुर्जर, जिला एवं सत्र न्यायाधीश चन्द्रप्रकाश श्रीमाली, आयोजन समिति के संरक्षक रामपाल सोनी, त्रिलोकचंद छाबड़ा, संगम ग्रुप के एसएन मोदानी, जिला परिवहन अधिकारी रामकिशन चौधरी, जिला लोक अभियोजक कुणाल ओझा, दैनिक भास्कर भीलवाड़ा के सम्पादक नरेन्द्र जाट का व्यास पीठ पर श्री ठाकुरजी ने शाल ओढ़ाकर सम्मान किया। विशिष्ट अतिथि जादूगर आंचल, गिरधारी कुमावत, दिलीप तोषनीवाल रहे। व्यास पीठ की आरती करने वाले यजमानों में तेजसिंह पुरावत, राधेश्याम चेचाणी, कैलाश कोठारी, श्यामसुंदर नौलखा, आशीष पोरवाल, राजेन्द्र कचोलिया, कैलाश काबरा, अशोक बाहेती, हेमेन्द्र शर्मा, राकेश दरक, सत्यनारायण मूंदड़ा, राहुल डाड, जितेन्द्रसिंह पुरावत, बालमुकुन्द सोनी, विजयसिंह पुरावत, दीपिका कंवर, सत्यप्रकाश राठी, भगवतीलाल हिंगड़, अशोक गट्टाणी, किशन चौधरी, करणसिंह बैलवा, रघुनंदन कानावत, राजकुमार शर्मा आदि शामिल थे। आयोजन समिति की ओर से अनिल भदादा, अनिल सुथार, महेश सोमानी, पंकज पोरवाल, गणपत खारीवाल, ओमप्रकाश गंदोडिया, अमन मूंदड़ा, पूरण पुरावत, जीवन कंवर, मुस्कान पुरावत, दिव्या भट्ट, सुनीता कंवर, मीना भट्ट, उषा शर्मा, चारूल भट्ट, ओमप्रकाश लढ़ा, जगदीश लढा, गोपाल बिड़ला, शिव मण्डोवरा, अशोक शारदा, लादूलाल सोनी, सौरभ पारीक, रामपाल शर्मा, कृष्णादेवी जाजू, कौशल्या गांधी, कैलाश खोईवाल, रामेश्वर चौधरी, रामेश्वरलाल सोडानी, पार्थ गौतम, अरूण पांडे, नारायण प्रजापति आदि का भी दुपट्टा ओढ़ाकर सम्मान किया गया। इस भव्य भक्तिमय आयोजन की मंच व्यवस्था संभालने में आयोजन समिति के राधेश्याम चेचाणी, कैलाश कोठारी, तेजसिंह पुरावत, राजेन्द्र कचोलिया, श्यामसुंदर नौलखा, आशीष पोरवाल, हेमेन्द्र शर्मा, कैलाश काबरा, सत्यनारायण मूंदड़ा,राहुल डाड, राकेश दरक आदि पदाधिकारी समर्पित भाव से जुटे रहे।

नहीं भूल पाउंगा भीलवाड़ा वासियों का प्यार, हर वर्ष आने की भावना

कथा के अंतिम दिन कथावाचक श्री देवकीनंदन ठाकुरजी महाराज ने भीलवाड़ा वासियों की जमकर सराहना करते हुए कहा कि भीलवाड़ा पहली बार आया लेकिन यह जगह बहुत अच्छी एवं प्यारी लगी। भीलवाड़ा वासी कन्हैया के दीवाने है। भागवत कथा श्रवण की ललक से भीलवाड़ा के बाहर से भी बड़ी संख्या में भक्तजन आए। सच्चा रसिक वहीं है जो कथा सुनने से कभी तृप्त नहीं होता बल्कि अतृप्ति और बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि कथा सुनाने के लिए मेरी तो बार-बार भीलवाड़ा आने की इच्छा है। हम ऐसा मन बना रहे है कि भीलवाड़ा में हर वर्ष आया करें। भगवान के नाम से ही सारे पाप समाप्त हो सकते है। मरने से पहले भगवान के नाम का आश्रय ले लो उसके अलावा कोई नहीं बचा सकता।

दक्षिणा में मांगा बनेंगे सनातनी, ठाकुरजी की पूजा व माथे पर तिलक

कथा समापन पर श्री देवकीनंदन ठाकुरजी महाराज ने कहा कि ऐसी परम्परा है कि कथा पूर्णाहुति पर व्यासपीठ पर विराजित को दक्षिणा दी जाती है। उन्होंने कहा कि मुझे मेरे लिए कुछ भी नहीं चाहिए बस दक्षिणा देनी है तो एक ही दो कि हम सनातनी बनेंगे। हर घर में ठाकुर पूजा की परम्परा को जीवित रखेंगे। हमारे माथे पर एवं बच्चों के माथे पर प्रतिदिन तिलक होगा। उन्होंने कहा कि संसार में किसी से मत मांगना जब भी मांगना गोविन्द से मांगना। उससे बढ़कर देने वाला कोई नहीं है। दरिद्रता का हरण केवल भगवान गोविन्द ही कर सकते है। भगवान के चरित्र से सीखना होगा बड़ा कैसे बना जाता है। किसी को गिराकर नहीं खुद कष्ट सहकर बड़ा बना जा सकता है। लक्ष्मी का सदुपयोग करों वह कभी छोड़कर नहीं जाएगी। जिसके साथ भगवान उसका कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता।

जग में मित्रता हो तो कृष्ण-सुदामा जैसी

भागवत कथा के अंतिम दिन श्री देवकीनंदन ठाकुरजी महाराज सुदाम चरित्र प्रसंग सुनाते हुए मित्रता की परिभाषा समझाते हुए कहा कि वर्तमान में सच्चे मित्र मिलना दुर्लभ है, जग में मित्रता हो तो कृष्ण-सुदामा जैसी। सुदामा के चरणों का कांटा भगवान ने अपने मुख से निकाला। वर्तमान युग में ऐसा कौन है जो मित्र के दुःख को बांटने के लिए अपने सुख छोड़ दे। संसार वाले तो मित्रता की आड़ में कांटे चुभाते है लेकिन कांटे निकालने का कार्य भगवान गोविन्द करता है। मित्र उसी को बनाना चाहिए जिसका मन पवित्र हो। उन्होंने जब दरिद्र सुदामा के द्वारिकाधीश भगवान कृष्ण से मिलने आने और भगवान द्वारा जल की बजाय आसूंओं से सुदामा के चरण धोने का प्रसंग सुनाया तो माहौल भावनापूर्ण हो गया। उन्होंने कहा कि दरिद्र वहीं है जिसके पास भगवान रूपी धन नहीं है। आप से धर्म नहीं होता तो मत करों लेकिन जो धर्मरक्षा में लगा उसका तन-मन-धन से साथ दो।

भीलवाड़ा में विश्व शांति सेवा समिति का गठन

भीलवाड़ा में सेवा कार्य एवं हर वर्ष पूज्य देवकीनंदनजी ठाकुर की कथा आयोजन के लिए महंत बनवारीशरण काठियाबाबा के सानिध्य में कार्य करने के लिए विश्व शांति सेवा समिति भीलवाड़ा का गठन किया गया। इसमें संस्थापक 11 सदस्य बनाए गए है। इन सदस्यों का मंच पर छोटी हरणी गांव के युवाओं ने सम्मान भी किया।

गौ रक्षा पदयात्रा को सफल बनाने की अपील

श्री देवकीनंदन ठाकुरजी महाराज ने गौमाता की लंपी रोग से रक्षा की भावना से भीलवाड़ा से कोटड़ी श्रीचारभुजानाथ तक राजस्थान बीज निगम के अध्यक्ष धीरज गुर्जर के नेतृत्व में 14 अक्टूबर से निकाली जाने वाली दो दिवसीय गौ संकट निवारण पदयात्रा को सफल बनाने की अपील की। श्री गुर्जर ने उन्हें इस आयोजन के बारे में जानकारी दी थी। ठाकुर ने कहा कि सनातन धर्म की रक्षा व गौ माता की रक्षा व सेवा के लिए जो भी कार्य हो उसमें वह साथ है।

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