गुंसी, निवाई। श्री दिगम्बर जैन सहस्रकूट विज्ञातीर्थ गुन्सी में विराजमान आर्यिका विज्ञाश्री माताजी के चरणों में ज्ञानचंद सौगानी एवं ताराचंद सौगानी सहित समस्त कोथून व चनानी जैन समाज ने वार्षिक उत्सव मेला के लिए श्रीफल अर्पित किया। आहारचर्या के पश्चात आर्यिका माताजी का ससंघ पावन सान्निध्य जैन समाज कोथून एवं चनानी को प्राप्त हुआ। गुरु माँ का सान्निध्य पाकर सबका मन प्रफुल्लित हो उठा। श्री चन्द्रप्रभु भगवान के समक्ष सभी इंद्र – इंद्राणियों ने मिलकर चौसठ ऋद्धि विधान भक्तिमय तरंगों के साथ सम्पन्न किया। वार्षिक उत्सव मेला के अंतर्गत प्रतिवर्ष होने वाले कलशाभिषेक में सौगानी परिवार ने बढ़ – चढ़कर भाग लिया। पूज्य गुरु माँ के पाद – प्रक्षालन कर सौगानी परिवार ने अपने को धन्य किया। साथ ही गुरु माँ के कर कमलों में शास्त्र भेंट किया गया। माताजी के मुखारविंद से शान्तिधारा करने का भक्तों को सौभाग्य प्राप्त हुआ। भगवान जिनेंद्र के चरणों में चढ़ने वाली फूलमाल पहनने का भी पुण्यार्जक परिवारों ने अवसर प्राप्त किया। तत्पश्चात धर्मसभा में उपस्थित श्रद्धालुओं को उपदेश देते हुए माताजी ने कहा कि – यह मेला श्रावक से श्रावक के मिलने का नहीं वरन भगवान से अपनी आत्मा से मिलने का अनुपम स्रोत है।