वी के पाटोदी/सीकर। दशलक्षण पर्व के सातवें दिन सोमवार को जैन धर्मावलंबियों ने उत्तम तप दिवस को अंगीकार कर इस धर्म को पालन करने का संकल्प लिया। इस दौरान समस्त जिनालयों में विधानों का आयोजन किया गया । जैन धर्म अनुसार 12 प्रकार का तप माना गया है। इनमें छह अंतरंग तप होते हैं और छह बहिरंग तप होते हैं। अंतरंग तप में एक तप का नाम विनय है। दीवान जी की नसियां में अपने मंगल प्रवचनों में ब्रह्मचारिणी बबीता दीदी ने बताया कि अपने से अधिक गुण वालों के प्रति विनम्रता का भाव होना तप कहा गया है। जिस प्रकार से सोने को तपाकर आभूषण बनाए जाते हैं, उसी प्रकार तप के माध्यम से आत्मा को परमात्मा बनाया जाता है। आत्मा से परमात्मा बनने की प्रक्रिया तप है। बड़ा मंदिर कमेटी के संतोष बिनायक्या व अभिनव सेठी ने बताया कि बड़ा मंदिर जी में शांतिधारा विपिन टोंग्या, अनिल जैन व दंग की नसियां में शांतिधारा महावीर महालजीका, सुनील बिनायकया, अशोक अजमेरा परिवार द्वारा की गई। देवीपुरा जैन मंदिर कमेटी के पदम पिराका व मंत्री पंकज दुधवा ने बताया कि प्रातः मंदिर जी में शांतिधारा भागचंद नरेश कुमार कालिका परिवार द्वारा की गई।
मंगलवार को होगा भव्य महाआरती का आयोजन
प्रवक्ता विवेक पाटोदी ने बताया कि मंगलवार को सांयकाल सकल जैन समाज के तत्वाधान में दीवान जी की नसियां में मान स्तंभ के समक्ष महा आरती का आयोजन ब्रह्मचारिणी सरिता दीदी व बबीता दीदी के सानिध्य में किया जाएगा । इस दौरान संपूर्ण जैन समाज उपस्थित रहेगा । कार्यक्रम पश्चात महाआरती का डिजिटल प्रसारण वीरध्वनि के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से किया जाएगा। आचार्य ज्ञान सागर युवा मंच एवं जैन सोश्यल ग्रुप द्वारा व्यवस्था हेतु सहयोग प्रदान किया जाएगा ।