Saturday, September 21, 2024

सत्य के बिना कल्याण होने वाला नहीं है आज सत्य को जानते हुए अनर्थ कर रहे है: मुनि पुगंव श्री सुधा सागर जी महाराज

अखिल भारतीय श्रावक संस्कार शिविर में देशभर के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं

आगरा। सत्य के बिना कल्याण होने वाला नहीं है, आज सत्य को जानते हुए भी अनर्थ का कार्य कर रहे हैं, सम्यक दर्शन होने के वाद भी हत्या करा सकता है, दो सम्यदृष्टि एक दूसरे के प्राण लेने के लिए एक दूसरे पर टूट पड़ते हैं, सुदर्शन चक्र चला देते हैं, भाई ने भाई पर चक्र चला दिया, आज का दिन नहीं होता सत्य के बाद संयम नहीं होता तो अनर्थ हो जाता जान रहा था सम्यज्ञ दृष्टि , फिर भी भाई की हत्या करने को ऊतारु है आज सत्य के पीछे संयम लगा दिया सब सत्य है सत्य के ऊपर संयम चाहिए। असत्य के संयम होता ही नहीं है सम्यज्ञ दृष्टि को संयम चाहिए ताकत बान है शक्तिवान के लिए संयम चाहिए जो जितना शक्तिशाली होंगा उसको उतना ही संयमी होना जरूरी है उक्त आश्य के उद्गार हरि पर्वत आगरा में अखिल भारतीय श्रावक संस्कार शिविर की विशाल धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनि पुगंव श्री सुधा सागर जी महाराज ने व्यक्त किए।
आज धूप क्षेपण करने का विशेष महत्व है
मध्यप्रदेश महासभा संयोजक विजय धुर्रा ने बताया कि दस लक्षण महा पर्व पर आज धूप दसमीं के दिन धूप खेने का विशेष महत्व है सभी शिविरार्थी ने कुंडो में धूप समर्पित की तदउपरान्त शाय काल की वेला में बड़े भक्तिभाव से दस हजार दीपों से जगमगाया महा आरती शिविरार्थी के साथ स्थानीय समाज जनों द्वारा की गई इस दौरान कमेटी के अध्यक्ष प्रदीप जैन , नीरज जैन (जिनवाणी), महामंत्री निर्मल कुमार जैन मोट्या कोषाध्यश, मनोज कुमार बाकलीवाल- मुख्य संयोंजक पी.एल. बैनाडा कार्याध्यक्ष हीरालाल बैनाड़ा – स्वागतध्यक्ष जगदीश प्रसाद जैन – ललित जैन (डायमन्ड)अमित बाबी राजेश जैन गया ,वाई के जैन, विमल मारसंस भोलानाथ सिंघंई जितेन्द्र कुमार जैन शिखर चंद सिघई के साथ शिविर निर्देशक हुकम काका दिनेश गंगवाल प्रतिष्ठा चार्य प्रदीप भइया सुकांत भइया मध्यप्रदेश महासभा संयोजक विजय धुर्रा विकास विजोलिया कल्पेश सूरत कैलेंडर जैन नाथूलाल अज़मेर सहित सभी कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।
नदी दो किनारे के बीच से बाहर निकल जायें तो वह रौद्र रूप रंग लेती है
उन्होंने कहा कि जितने अतिचार बताये अणुव्रत के लिए ही बताये है महाव्रती के लिए तो कोई अतिचार बताये ही नहीं है अतिचार का महाव्रती के साथ कोई मतलब ही नहीं है नदी दो किनारे के बीच बहती जाती है बहते बहते अपनी यात्रा पूरी करतीं हैं ।नदी जब अपनी मर्यादा का उल्लघंन करती है तो बाड़ का रुप ले कर सब को उजाड़ती चली जाती है । ऐसे ही सत्य अपनी मर्यादा लांघ कर सब का नाश कर देता है। इसलिए इस पर संयम के अंकुश की आवश्यकता है सत्य से ज्ञान तो हो जायेगा कल्याण नहीं होता कल्याण जब भी होगा संयम से होगा चारित्र धारण करने से होगा सत्य सब कुछ देखने को कहता है संयम सब कुछ देखने को तो छूट देता है लेकिन छूने की मनाही करता है। रावण ने सीता जी को सबसे सुन्दर माना लेकिन एक ग़लती करदी छूने की कोशिश की और क्या हुआ सारा संसार जानता है। संसार प्राणी की आदत है कि सुन्दर वस्तू देखी और पाने की छूने की चाह रखने लगता है तब ही तो पीछे से दंड मिलता है।

- Advertisement -spot_img

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest article