Saturday, September 21, 2024

आलस, प्रमाद करने से शरीर अस्वस्थ रहता है: आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी

उदगाव, महाराष्ट्र। भारत गौरव साधना महोदधि सिंहनिष्कड़ित व्रत कर्ता अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महाराज एवं सौम्यमूर्ति उपाध्याय 108 श्री पीयूष सागर जी महाराज ससंघ का महाराष्ट्र के ऊदगाव मे 2023 का ऐतिहासिक चातुर्मास चल रहा है इस दौरान प्रवचन में बताया कि
बैठ अकेला दो घड़ी – भगवान के गुण गाया कर..
मन मन्दिर में ये जीया – झाडू रोज लगाया कर..!

उत्तम शौच का अर्थ है — मन को मांजना। पहले दिन — क्रोध को भगाया। दूसरे दिन — मान को मारा। तीसरे दिन — मन को शिशु जैसा सरल किया। और आज मन को मांजने की बात हो रही। किसी ने पूछा- संसार छोटा है या बड़ा-? हमने कहा- संसार ना छोटा है, ना बड़ा। जिसकी कामना, वासनायें बड़ी है, उसका संसार बड़ा है। और जिसकी कामना, वासना कम है, उसका संसार छोटा है। हमारा मन ही उसे छोटा बड़ा बनाता है। उन सन्तों का संसार सीमित है, जिनकी इच्छायें सीमित है। और जिन सन्तों की इच्छायें गीली लकड़ी की तरह धू-धू करके जल रही है, मानना उनका गृहस्थों से भी बड़ा संसार है। ये पाँच बाते हमें आगे बढ़ने से रोकती है ~ कहीं आप इनके शिकारी तो नहीं है?
देर से सोकर उठने से – सौभाग्य का नाश होता है।
चुगली करने और झूठ बोलने से – जीभ मोटी होती है।
आलस, प्रमाद करने से – शरीर अस्वस्थ रहता है।
पानी ज्यादा बहाने से – घर में अशान्ति बढ़ती है, और पैसा नहीं टिकता। गन्दे चित्र देखने से – मन पाप और अशुभ से भर जाता है।
संकलन : नरेंद्र अजमेरा पियुष कासलीवाल

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