जयपुर। गुलाबी नगरी जयपुर में आचार्य गुरुवर श्री सुनील सागर महा मुनिराज अपने संघ सहित भट्टारक जी की नसिया में चातुर्मास हेतु विराजमान है ।प्रातः भगवान जिनेंद्र का जलाभिषेक एवं पंचामृत अभिषेक हुआ , उपस्थित सभी श्रावको ने पूजा कर अर्घ्य अर्पण किया।पश्चात गुरुदेव के श्री मुख से शान्ति मंत्रों का उच्चारण हुआ, सभी जीवो के लिए शान्ति हेतु मंगल कामना की गई। समिति सुनील सभागार में वर्णी भवन मोरा जी सागर स्नातक परिषद द्वारा व डा. मोहन लाल ,राहुल जैन डा. सुनील शास्त्री प्रतिष्ठाचार्य ने अर्घ्य अर्पण कर चित्र अनावरण करते हुए दीप प्रज्जवलन कर धर्म सभा का शुभारंभ किया। उक्त जानकारी देते हुए चातुर्मास व्यवस्था समिति के प्रचार मंत्री रमेश गंगवाल ने बताया , मंगलाचरण आशा जैन फिरोजाबाद ने किया व मंच संचालन इन्दिरा बडजात्या जयपुर ने किया । चातुर्मास व्यवस्था समिति के महा मन्त्री ओम प्रकाश काला ने बताया कि सागर से पधारे अतिथि महानुभावों ने आचार्य श्री के समक्ष श्रीफल अर्पण किया ।चातुर्मास व्यवस्था समिति के मुख्य संयोजक रूपेंद्र छाबड़ा राजेश गंगवाल ने बताया आचार्य भगवंत के चरण पखारने का सौभाग्य सभी समस्त स्नातकों को प्राप्त हुआ।आचार्य श्री क़ो जिनवाणी शास्त्र भेंट किया गया। धर्म सभा में सर्वप्रथम चंद्रेश ने कहा श्री वर्णी जी विद्यालय में हमने 100 से ज्यादा विद्वान स्नातक समाज के लिए प्रस्तुत किए हैं श्री गणेश प्रसाद जी वर्णी जी महाराज पर एक डाक टिकट भी भारत सरकार जारी करें, इस हेतु हम सभी प्रयासरत हैं।
पश्चात आचार्य भगवंत श्री सुनील सागर गुरुदेव ने अपने मंगल उद बोधन में कहा– हाथों में कलम रखता हूं ।
बड़ी सोच के साथ कदम रखता हूं
ऊंचा आसमान ही सही पर तुझे छूने का भी दम रखता हूं।
कोई सौभाग्यशाली ही होता है जो परमार्थ को समझकर आत्म कल्याण कर लेता है गणेश वर्णी जी जैन नहीं थे पर उन्होंने जैनत्व को स्वीकार किया ।और परमार्थ के साथ-साथ आत्म कल्याण के मार्ग को अपना लिया, तथा परमार्थ के कार्य को समझकर वर्णी विद्यालय की स्थापना कर दी। शास्त्र का अध्ययन परमार्थ का कारण बनना चाहिए ।अनादि अनंत है यह संसार और इस संसार से हमारी आत्मा का पुरुषार्थ हो आत्म कल्याण हो। हमें केवल अगुवा बनकर नहीं रहना है ।इस ढंग से जीवन का उपयोग करें कि हमारा कल्याण हो। हमें वह उद्यम करना है जहां कर्मों की निर्जरा हो। बाल सफेद हो जाने पर काले कर लेते हैं पर पर्याय सभी की बदलती है बस यही हम सब को समझना चाहिए। आप लोग विद्वान हैं आप धर्म का जिनवाणी का प्रचार प्रसार करें, लोग शाकाहार को जाने ,हिंसा से बचें, ऐसे व्यवहार धर्म के साथ ,आत्म हित की भावना के साथ ,परमार्थ करें शिक्षा का प्रचार प्रसार करें ।धर्म को सभी को बताएं रत्नत्रय को किसी न किसी रूप में स्वीकार करते हुए आत्म कल्याण और परमार्थ करें ।वर्णी जी प्रथम पंडित थे जो दूसरे समाज से आए ,और आत्मबल से शिक्षा ग्रहण की ,और धर्म अध्ययन किया तथा अंत में क्षुल्लक दीक्षा धारण कर सल्लेखना पूर्वक समाधि मरण किया। ब्रह्मचर्य के मार्ग पर वही चल सकता है जो परिपूर्णता को प्राप्त कर लेता है। जिनवाणी की शरण में रहे।
कल्याण मन्दिर विधान का हुआ भव्य आयोजन
चातुर्मास व्यवस्था समिति के प्रचार मन्त्री रमेश गंगवाल ने जानकारी देते हुये बताया संध्या समय भव्य आरती के पश्चात श्री कल्याण मन्दिर विधान से भगवान 1008 श्री पार्श्वनाथ की स्तुति वन्दना कर,दीप आराधना का कार्यक्रम हुआ। चातुर्मास व्यवस्था समिति के मुख्य संयोजक श्री रूपेन्द्र छाबड़ा व राजेश गंगवाल ने बताया कि पूज्य आचार्य श्री सुनील सागर जी गुरुवर के 46 वें अवतरण दिवस पर पाण्डाल को अतिभव्य रुप दिया गया,सम्पूर्ण नसियां जी जगमग कर उठी। मुख्य समन्वयक राजीव जैन गाजियाबाद ने बताया कि सभी भक्तों ने आचार्य श्री की पावन निश्रा में श्री कल्याण मन्दिर विधान के 44 मण्डलों पर दीप प्रज्ज्वलन कर दीप आराधना की। व्यवस्था समिति के महा मन्त्री ओमप्रकाश काला ने जयपुर शहर से दूर दूर कालोनियों से आये सभी श्रावको का आभार व्यक्त किया।