Sunday, November 24, 2024

उत्तम क्षमा धर्म की पूजा के साथ 10 दिवसीय दसलक्षण महापर्व आरंभ

जैन मंदिरों में हो रहे है विशेष धार्मिक आयोजन

वी के पाटोदी/सीकर। दिगंबर जैन समाज के 10 दिवसीय दसलक्षण पर्व मंगलवार को उत्तम क्षमा धर्म के साथ शुरू हुआ। ये पर्व 28 सितंबर तक चलेगा व अनंत चतुर्दशी पर दस दिवसीय महापर्व का समापन होगा। 30 सितंबर को क्षमावाणी का पर्व मनाया जाएगा। प्रवक्ता विवेक पाटोदी ने बताया कि शहर के समस्त जिनालयों में दसलक्षण पर्व भक्ति भाव से मनाया जा रहा है। पर्व के लिए शहर के मंदिरों को आकर्षक ढंग से सजाया गया है। जैन समाज जन इस आत्मशुद्धि के महापर्व पर शुभ और अशुभ कर्मों का प्रक्षालन करने के लिए मन के दूषित भावों और विकारों को दूर करने के लिए पर्व को बेहद श्रद्धा के साथ मना रहे हैं। पहले दिन उत्तम क्षमा धर्म का पालन करते हुए श्रावकों ने नियम पूर्वक व्रत रखा व जिनालयों में प्रात: बेला में जिनेन्द्र भगवान के अभिषेक किए। इसके पश्चात नित्य नियम की पूजा व दस लक्षण धर्म की पूजा हुई। देवीपुरा स्थित चंद्रप्रभु जैन मंदिर में भी दसलक्षण पर्व भक्तिभाव से मनाया जा रहा है। कमेटी के अध्यक्ष पदम पिराका व उपाध्यक्ष प्रदीप सेसम में बताया कि मंगलवार को सौधर्म इंद्र बन शांतिधारा व महाआरती का सौभाग्य नेमीचंद तेजपाल छाबड़ा दुधवा परिवार को प्राप्त हुआ। दीवान जी की नसियां के सुनील दीवान ने बताया कि प्रातः काल ब्रह्मचारिणी सरिता दीदी व बबिता दीदी के सानिध्य में भक्तिभाव से श्री जी के अभिषेक व शांतिधारा की गई। नया मंदिर कमेटी के मंत्री पवन छाबड़ा ने बताया कि प्रातः शांतिधारा का सौभाग्य मुकेश कुमार विकास कुमार लुहाड़िया सुरेरा वाले परिवार को मिला। समस्त मांगलिक कार्य पंडित जयंत शास्त्री के निर्देशन में संपन्न हुए। जाट बाजार स्थित नसियां जी में ब्रह्मचारिणी सरिता दीदी व बबिता दीदी ने उत्तम क्षमा धर्म पर बताया कि दसलक्षण अर्थात पर्युषण महापर्व आत्मशुद्धि का अवसर प्रदान करता है। इसलिए इस दौरान अहिंसा यानी किसी को दुःख व कष्ट ना देना, सत्य के मार्ग पर चलना, चोरी ना करना, ब्रह्मचर्य का पालन करना ही जैन धर्म के सिद्धांतों को रेखांकित करता है।

उत्तम क्षमा अर्थ का अर्थ: सबको क्षमा, सबसे क्षमा: उत्तम क्षमा धर्म हमारी आत्मा को सही राह खोजने में और क्षमा को जीवन और व्यवहार में लाना सिखाता है। जिससे सम्यक दर्शन प्राप्त होता है। सम्यक दर्शन वो चीज है, जो आत्मा को कठोर तप त्याग की कुछ समय की यातना सहन करके परम आनंद मोक्ष को पाने का प्रथम मार्ग है।

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