Friday, November 22, 2024

“डेढ़ बीघा जमीन”

सुरक्षा गार्ड ने बंगले के अंदर बैठे गार्ड को अपने वायरलेंस फोन से फोन लगाया, हेलो हेलो सर,हां इतनी रात को कोई प्रलय आ गई क्या ? जो तुम फोन कर रहे हो। सर प्रलय तो नहीं आई पर एक अंधेड़ उम्र की महिला साहब से मिलने की जिद कर रही है। क्यों क्या हो गया। पता नहीं सर आप जरा बाहर आकर देख लेते अभी आता हूं ।गार्ड रामनाथ बाहर आते ही सूर्यप्रकाश जी आप भी ना दो घड़ी आराम नहीं करने देते हों। सर मैं क्या करता है बूढ़ी अम्मा को देखकर मुझे अपनी अम्मा की याद आ गई। देखिए ना कोई विशेष काम ही होगा नहीं तो महानगरों में कहां कोई इतनी दूर से आता है । कहां से आई है। साहब के क्षेत्र से हैं। कौन सा क्षेत्र, साहब के हर क्षेत्र में प्रशंसक है। पर इसे देखकर लगता है ये प्रशंसक नहीं है । अभी देख लेते हैं। अम्मा कहां से आई हो। अम्मा पहले तो चुप रही फिर बोली गांव से, रामनाथ गार्ड ने फिर पूछा कौन सा गांव है अम्मा आपका। गांव तो वही है जो आपके साहब का है। अरे अम्मा साहब का कोई गांव नहीं है साहब का तो क्षेत्र है । पहले यह बताओ इतनी रात को क्यों आई हो। वो सब तो में साहब को ही बताऊंगी। मुझे साहब से मिलवा दे बेटा तेरा भगवान भला करेगा । रामनाथ गार्ड फिर बोला भगवान भला करता तो इतनी रात को क्यों ? यह आफत आती। बेटा में कोई आफत नहीं। अरे अम्मा तुम्हें नहीं पता साहब के स्वभाव का कब कहां और कैसे बदल जाएं।अम्मा की आंखों से आंसू निकल रहे थे। फिर भी वो उन्हें छुपाने की कोशिश कर रही थी। सर कुछ ना कुछ करके अम्मा को साहब से मिलवा दीजिए ना, अरे सूर्यप्रकाश जी आप बात बात पर भावुक को जाते हो। हमारी नौकरी भावना से नहीं होती है और भावना हो भी तो भीतर छुपा कर रखनी पड़ती है। चुनावी माहौल है कौन सच बोल रहा है कौन झूठ हमें चौकन्ना रहना पड़ता है। फिर भी मैं अंदर जाकर बात करता हूं बड़े साहब से अच्छा अम्मा तुम्हारा कोई पहचान पत्र है क्या ? अम्मा बोली हां बेटा अभी बनवाया है मेरी बेटियों ने देखो यह रहा। रामनाथ गार्ड ने अम्मा का पहचान पत्र लिया और अंदर गया बड़े साहब के पास, साहब फोन पर गुप्तगु करने में व्यस्त थे। सर सर हां बोलो रामनाथ क्या हुआ। इतनी रात को क्या आफत आ गई। अच्छा अभी रुको तो जरा उधर अपनी पत्नी से कहा अभी फोन करता हूं। अब बताओ क्या हुआ। सर एक अम्मा बाहर साहब से मिलने की जिद लगाएं बैठी है। क्यों मिलना चाहती है। सर यह तो पता नहीं कहती हैं साहब को ही बताऊंगी। यह उसका पहचान पत्र, अरे यह तो साहब के क्षेत्र की है । हां साहब इसलिए आपको बताना जरूरी समझा। तो क्या करे साहब को जगा दे क्या ? अरे नहीं ऐसा करो अम्मा से कहो अंदर जाकर प्रतीक्षालय में आराम करें । सुबह साहब से मिलता देंगे। ठीक है सर, रामनाथ बाहर आकर बोले अम्मा से बोले अभी तो साहब सो रहे हैं। आप ऐसा करो अंदर चलकर आराम कर लो सुबह होते ही मिलवा देंगे। अम्मा ने अपनी पोटली ली और अंदर जाकर बैठ गई । यह तो अम्मा ,बड़े साहब बड़े दिलवाले हैं नहीं तो इस समय परिंदा भी पर नहीं मार सकता साहब के बंगले में। अम्मा चुप थी और इंतजार करने लगी सुबह होने का । उधर बड़े साहब दूर से ही बैठे अम्मा की तरफ निगाहें लगाएं हुए थे । उधर अम्मा सुबह होने का इंतजार कर रही थी। इधर बड़े साहब साहब के जागने का इंतजार कर रहे थे । रात्रि का आधा पहर बीत गया तभी कुछ हलचल हुई। अचानक से साहब बाहर घूमने लगे। साहब को आधी रात को बगीचे में घूमता देखा बड़े साहब अपनी कुर्सी से उठ बैठे और साहब के पास जाकर बोले। साहब सब ठीक है ना। अरे कुछ नहीं थोड़ी बैचेनी हो रही थी। इसलिए बाहर आ गया। साहब आप कहे तो डॉक्टर को बुलवा लेता हूं। अरे नहीं दीपक, इतनी भागा दौड़ी की वजह से थोड़ी बहुत हरारत हो रही है । साहब आपको हरारत हो रही है इधर एक और जिसे भी नींद नहीं आ रही है। कौन है ? सर वो बूढ़ी अम्मा। वो कहां से आई है । साहब आपसे मिलने की जिद लगाएं बैठी हैं। बाहर रात हो गई थी हमने सुबह का इंतजार करने के लिए कह दिया। ऐसा करो अम्मा को मेरे पास ले आओ। ठीक है साहब ये रहा अम्मा का पहचान पत्र । उधर साहब पहचान पत्र देख रहे थे। अरे अम्मा इतनी रात को आपने क्यों तकलीफ की मुझे बुलवा लिया होता। मैं स्वयं आ जाता। अम्मा ने साहब के सिर पर हाथ रखा और बोली बेटा तू कहां आता है। पांच साल में एक दो बार आया होगा । सोचा समस्या मेरी है तो मैं ही चलती हूं। अरे अम्मा के लिए चाय लाओ ।अम्मा खाना तो खाया ना आपने रात को। बड़े साहब समझ नहीं पा रहे थे कि साहब पहले से अम्मा से परिचित हैं या यह चुनावी मौसम की खुमारी है । जो अम्मा से इतनी मीठी-मीठी बातें कर रहे हैं । साहब खड़े-खड़े दोनों की बातें सुन रहे थे। बेटा देख मेरे पास डेढ़ बीघा जमीन है। जम के किसानी करती हूं। खूब मेहनत करती हूं । दो बेटियों की शादी कर दी। एक बेटा है। साहब बोले यह तो अच्छी बात है अम्मा। पर इतनी रात को मेरे पास किस काम से आई हो अम्मा। मेरा जो बेटा है वो आपके फैंस क्लब का सदस्य बन गया है। आप पिछली बार आए थे ना जब से मेरा बेटा घर नहीं आया । रात दिन प्रचार प्रसार करता रहता है। बेटा पढ़ने में इतना होशियार है कि जिस परीक्षा में बैठता है उसी में पास हो जाता है। पर उसके ऊपर नेतागिरी का भूत सवार है। आप कहेंगे तो मान जाएगा। अम्मा क्या नाम है आपके बेटे का । मेरे बेटे का नाम नायक है। साहब मैं पता करता हूं अम्मा और आप चिंता मत करो आप कहोगी तो उसे लेकर खुद घर आ जाऊंगा। अम्मा बोली देख बेटा अपना दुख सुनाते सुनाते कब सुबह हो गई पता ही नही चला। अच्छा मेरी डेढ़ बीघा जमीन से कुछ बाजरा लाई हूं । आपके बगीचे की चिड़ियों के लिए रोज थोड़ा-थोड़ा दाना डाल देना पुण्य मिलेगा। साहब ने गार्ड को बुलाया और बोले सुनो,अम्मा को सकुशल उनके गांव छोड़ आओ। ठीक है साहब तभी साहब की मोहतरमा वहां आ गई ।अरे यह क्या ? लगता है चुनावी चिंता में आपको नींद नहीं आई। यह आपके हाथ में क्या है? कुछ नहीं एक अम्मा अपने खेत से बाजरा लाई थी उपहार में। अरे उपहार में कोई बाजरा देता है क्या ? वैसे बाजरें के दानों को देखकर मुझे शेरशाह सूरी की वह कहावत याद आ रही है की मुट्ठी भर बाजरें के लिए मैं हिंदुस्तान बादशाहत खो देता । क्या बात है तुम्हारी तो इतिहास में अच्छी पकड़ है । साहब ने बाजरें के दाने अपनी मुट्ठी में लिए और चिड़ियों की ओर फैला दिए। उधर चिड़िया बाजार चुगने लगी। तभी न जाने कहां से एक सफेद कबूतर आया और साहब के हाथ पर बैठ गया और बाजरे के दाने खाने लगा। मोहतरमा बोली क्या बात है लगता है अम्मा के खेत का बाजार मीठा है। और दोनों एक दूसरे की ओर देखने लगे। उधर सफेद कबूतर ने बाजरे के दाने चुगे और उड़ गया।
डॉ. कांता मीना
शिक्षाविद् एवं साहित्यकार

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