’वैराग्य है, वैराग्य है ये नेमि का वैराग्य है’ का भव्य मंचन
जयपुर । श्री टोडरमल सर्वोदय ट्रस्ट के तत्वावधान में 2 अक्टूबर से बापूनगर स्थित पंडित टोडरमल स्मारक भवन में चल रहे चल रहे 25वें आध्यात्मिक धार्मिक शिक्षण शिविर में आज ’वैराग्य है, वैराग्य है ये नेमि का वैराग्य है’ का सषक्त मंचन किया गया। महाकाव्य तत्त्ववेत्ता डॉ. हुकमचंदजी भारिल्ल लिखित इस नाटक नाट्यरूप रूप लेखन अध्यात्मप्रभा मुंबई ने किया। इस नाटक में करीब 25 कलाकारों ने अपने अभिनय से नाटक के हर दृष्य को रोचक बना दिया। महाकाव्य के लेखक डॉ. भारिल्ल की विशेषता है कि वह हर घटना को एक अलग ही दृष्टिकोण से निहारा करते हैं। इस वैराग्य नाटक को भी उन्होंने अपनी कलाकौशल से वैराग्य व तत्त्वज्ञान से भर दिया। वैराग्य के अतिरिक्त हास्य, श्रृंगार, शोक, करुण आदि का समावेश ने देखने को मिला। 1 घंटे 20 मिनिट की अवधि वाले नाटक का निर्देशन संदीप शर्मा एवं अर्जुन देव ने किया। संयोजन पण्डित जिनेन्द्र शास्त्री व अशुतोष शास्त्री ने किया। मधुर स्वर पण्डित दिव्यांश शास्त्री ने प्रदान किया। नाटक के शुभांरभ में उद्घाटन कुसुम-महेन्द्रकुमार, सुपुत्र राहुल-सुनीता विनीत-रीना गंगवाल परिवार जयपुर मुख्य अतिथि सुधा-प्रदीप गोधा जयपुर तथा विशिष्ट अतिथि आरती- अशोक कुमार पाटनी परिवार सिंगापुर (ऑनलाइन), कुसुम- प्रदीप सुपुत्र तिलक -अरिहंत चौधरी परिवार किशनगढ़ व मंजू-सुशील पहाडिया किशनगढ़ रहे। नाटक के अंत में प्रशन्यचित्त होकर डॉ. हुकमचंदजी भारिल्ल ने कहा कि इस वैराग्य नाटक के माध्यम से हम समाज को जो संदेश देना चाहते थे वह बहुत ही अच्छी तरीके से उन तक पहुंचा है। भरत का अंतर्द्वंद नाटक का मंचन भी अनेक बार किया गया आने वाले समय में पश्चाताप नामक नाटक भी आपको शीघ्र देखने को मिलेगा।