आगरा। आगरा के हरीपर्वत स्थित श्री शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर के अमृत सुधा सभागार में निर्यापक श्रमण मुनिपुगंव श्री सुधासागर जी महाराज ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि जब कोई व्यक्ति अपने लिए कुछ करता है तो उसमें भगवत्ता प्रकट होती है अपने लिए कोई व्यक्ति जीता है तो जीवंतता की अनुभूति होती है, अपने सम्बन्ध में जब व्यक्ति सोचता है तो स्वयं को उँचाइयों तक ले जाता है स्वयं। स्वयं ही अच्छा बनना है, स्वयं ही अच्छा करना है, स्वयं ही उँचाइयों पर पहुँचना है। स्वयं का स्वयं के लिए करना है और जो स्वयं, स्वयं के लिए करता है वह स्वयं का मालिक हो जाता है लेकिन सृष्टि में कुछ ऐसी महान आत्माएं होती है जो स्वयं के साथ साथ दुसरो के लिए भी कुछ करती है, स्वयं भी सुखी रहते है और दूसरों को भी सुख देने का भाव करते है। उनको सारा जगत उच्च सिंहासन पर बिठाता है। उँचाइयों पर पहुँचना अलग चीज है और उच्च सिंहासन पर बैठना अलग चीज है। उँचाइयों पर जब भी व्यक्ति पहुँचेगा, अपने उपादान से पहुँचेगा और जब कोई सिंहासन पर बैठेगा तो कोई निमित्त उसे सिंहासन पर बैठालेगा। जीव अरिहंत अपने बल पर बनता है और उन्हें भगवान भक्त की आस्था बनाती है। अपनी श्रद्धा, समर्पण, बहुमान किसके प्रति जागेगा जिसने कुछ तुम्हारे लिए किया होगा, तुम्हारे लिए कुछ मिलने की उम्मीद होगी। इसको जय जिनेंद्र कर लो क्योंकि यह बड़ा काम का व्यक्ति है। बालको को सत स्वरूप मत समझाओ| बालको की रुचि देखो क्या है। एक बड़े लोग होते है जो अपने रुचि से नही खाते है, अच्छे लोग होते है जो माँ की रुचि से खाते है। साधु लोग बड़े क्यों होते है क्योंकि वे अपनी रुचि से आहार नही करते। बड़े लोग अपनी रुचि का भोजन नही करेगे, खिलाने वाला जैसा ख़िलायगा है वैसा खाओगे वह बड़ा है और छोटा कौन है जो मुझे रुचता है वह मैं खाऊंगा। जब जब तुम्हे बड़ो के अनुसार जिंदगी जीने का मन करे, बड़ो के अनुसार सोचने, देखने का मन करे तो समझ लेना आप बड़े हो गए है। आप मन्दिर अपनी इच्छा पूर्ति के लिए आये है, मन्दिर आने से मुझे यह मिल जाएगा तो समझ लेना आप बालक है। इसलिए आराधना है, इसलिए पूजा है, इसलिए नमोस्तु है कि हमे कुछ मिलेगा,कुछ मिल रहा है महानुभाव यह पूजा, यह जाप, यह गुरुभक्ति पुण्यबन्ध का कारण है लेकिन पाप की निर्जरा का कारण नही। चाहे पुण्य का ही बन्ध क्यों न हो जो मात्र बन्धमूलक क्रिया है, मात्र बन्ध ही कराती है आचार्य कुन्दकुन्द देव इसी पुण्य को कुशील कह रहे है। जब जब पुण्य के उदय में पाप करने का भाव आवे समझ लेना कुन्दकुन्द भगवान उसे कुशील कह रहे है। और वही पुण्यकर्म के उदय में पुण्य बन्ध करना यह सिर्फ बन्धमूलक नही है यह शुभोपयोग भी निर्जरा का कारण है। आप सभी अपनी अपनी जिंदगी को टटोलिये कि तुम्हारे पास क्या ओवर चीज है जो नही भी होती तो भी काम चल जाता। बड़ी गाड़ी नही भी होती तो छोटी गाड़ी से काम चल जाता। गाड़ी खतरनाक नही है वह वो चार करोड़ की गाड़ी जिनके पास है उनको खतरा है। ओवर जो तुम्हारा पुण्य है यदि वो सम्हल गया तो महानुभाव यही पुण्य तुम्हे अरिहंत परमेष्ठी बना देगा। बराबर पुण्य जितना चाहिए यदि पुण्य है तो जो न तुम्हे नरक भेजेगा और न मोक्ष भेजेगा। जो ओवर पुण्य है वही स्वर्ग, नरक और मोक्ष का कारण है, बस उसको सम्हालना है। जो आय हुई है सबसे पहले दान की घोषणा करो, वो है सर्वश्रेष्ठ दान। मैं यह व्यापार करने से पहले यह दान बोलता हूँ इसको बोलते है उपधान। किसी धर्म कार्य करने के पहले कोई भी संकल्प कर लेना वो उपधान कहलाता है, उपधान चमत्कारी,अतिशयकारी होता है। जो सुबह मंदिर आते है वो चमत्कार है, अतिशय है अभी संसार के कार्य के लिए तुम जागे हो मन्दिर के लिए नही, नही पहले मन्दिर जायेगे, दूसरे कार्य बाद में करेगे। पहले मन्दिर में दान बोलेंगे बाद में कमाएंगे। सब चीज में यही कर लीजिए भोजन बाद में करेगे पहले त्यागी व्रती को कराएंगे, समझ लेना अतिशय हो गया अन्नपूर्णा हो गया, तुम्हारा सब कुछ किया हुआ पाप नही प्रसाद हो गया क्योंकि धर्म मे देने के बाद भोगा है। इसलिए आचार्यो ने धर्मात्मा के लिए एक किसान की उपाधि दी। धर्मसभा से पूर्व पन्नालाल बैनाड़ा एव हीरालाल बैनाड़ा राजेश बैनाड़ा विभू बैनाड़ा समस्त बैनाड़ा परिवार द्वारा मुनिश्री का पाद प्रक्षालन एवं शास्त्र भेंट किया,साथ ही संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी महाराज के चित्र का अनावरण एवं दीप प्रज्वलन किया| शोभाना लुहारिया द्वारा मंगलाचरण की प्रस्तुति दी। इस दौरान आगरा दिगंबर जैन परिषद, श्री दिगंबर जैन धर्म प्रभावना समिति एवं श्री दिगंबर जैन शिक्षा समिति के पदाधिकारियों ने मुनिश्री के चरणों में श्रीफल भेंटकर मंगल आशीर्वाद प्राप्त किया| धर्मसभा का संचालन मनोज जैन बाकलीवाल द्वारा किया गया|
दोपहर 3:00 बजे से क्षुल्लक श्री गम्भीर सागर जी महाराज के सानिध्य में बच्चों की पाठशाला लगाई जाती है वही शाम को मुनिश्री का जिज्ञासा समाधान कार्यक्रम होता है जिसमें बड़ी संख्या में भक्त अपनी जिज्ञासाओं को दूर करते हैं और गुरू के चरणों में शीश नवाकर धर्मलाभ लेते हैं।धर्मसभा में प्रदीप जैन पीएनसी निर्मल मोठ्या, दिलीप जैन,मनोज जैन बाकलीवाल, अमित जैन बॉबी नीरज जैन जिनवाणी पंकज जैन सीटीवी,पन्नालाल बैनाड़ा, हीरालाल बैनाड़ा,जगदीश प्रसाद जैन, राजेश जैन सेठी,शुभम जैन,राजेश बैनाड़ा,राकेश जैन पर्देवाले,शैलेन्द्र जैन,विवेक बैनाड़ा,ललित जैन,अनिल जैन शास्त्री रूपेश जैन,केके जैन,नरेंद्र जैन,संजय जैन शालीमार,राहुल जैन, सचिन जैन,अंकेश जैन,समकित जैन, समस्त सकल जैन,समाज आगरा के लोग बड़ी संख्या में मौजूद रहे।
शुभम जैन मीडिया प्रभारी