सुनील चापलोत/चैन्नई। काया और माया संसार मे बड़ी पुण्यावानी से मनुष्य को प्राप्त होती है। रविवार साहूकार पेठ जैन भवन के श्री मरूधर केसरी दरबार मे विषेश धर्मसभा मे महासती धर्मप्रभा ने सैकड़ों श्रध्दांलूओ को धर्म उपदेंश देते हुए कहा कि काया और माया का कौई भरोसा नहीं है।इस दुनिया में चाहे करोड़पति हो या रोड़पति सबके जाने का तरीका एक जैसा है।फिर किस बात का इंसान गुमान और अभिमान करता है। माया और साथ नहीं जाने वाली है। मनुष्य जीवन भर शरीर,धन,रूप, रंग,गहने,जमीन और जायदाद के प्रति आसक्त होकर संसारी माया और काया को संसार मे स्थाई आवास समझकर अपनी अनन्त पुण्यावानी को यूहीं गवा रहा है। मनुष्य शरीर को सोने एवं चांदी से कितना भी सजाले लेकिन अंत समय शरीर मिट्टी मे ही मिलने वाला है। न जाने कब हमारी काया हमारा साथ छोड़ देवे और माया यही की यही पर धरी रह जाए उससे पहले मनुष्य अपनी माया का संसार में सदउपयोग कर लेता है। तो वह अपनी पुण्यावानी को और बढ़ाकर अपनी इस आत्मा को संसार के आवागम से छुटाकारा दिला सकता है। काया और माया संसार में पुण्यावानी के संचय से प्राप्त होती है श्री एस.एस. जैन संघ के कार्याध्यक्ष महावीरचन्द सिसोदिया ने जानकारी देतें हुए बताया की धर्मसभा मे अनेक उपनगरों पधारे मेहमानो का साहूकार पेठ श्रीसंघ एस.एस जैन संघ के अध्यक्ष एम.अजित राज कोठारी,सुरेश डूगरवाल,हस्तीमल खटोड़,बादलचन्द कोठारी, जितेन्द्र भंडारी,पदमचन्द ललवानी, माणक चन्द खाबिया, शांतिलाल दरड़ा,सुभाष कांकलिया, महावीर कोठारी, शम्भूसिंह कावड़िया,अशोक सिसोदिया,तारेश बेताला दिनेश नाहर,संजय खाबिया आदि सभी पदाधिकारियों की श्रध्दांलूओ के साथ उपस्थिति रही। इसदौरान विलीवाक्म ज्ञानशाला के नन्हें मुन्हे बच्चों के द्वारा बच्चों की अदालत नाटिका का मनमोहक मंचन किया गया। सभी बच्चों का उत्साह वर्धन करते हुये महावीर सिसोदिया ने कहा कि बच्चे जैसा देखतेवैसा ही सिखते है। सु संस्कार बच्चों को घर से ही प्राप्त होते है। सभी बच्चो को पारितोषिक देकर श्रीसंघ के पदाधिकारियों ने सम्मानित किया।