सुनिल चपलोत/चैन्नई। इंसान की इच्छाएँ ही भटकाती और आत्मा को संसार में अटकाती है। गुरूवार साहूकार पेठ के जैन भवन में महासती धर्मप्रभा ने सैकड़ों श्रध्दांलूओ को सम्बोधित करते हुए कहा कि इच्छाएं ही हमे भटकाती और अटकाती है और हमारे समस्त दुःखों की जड़ भी हमारी इच्छाएं ही है। जो हमारी आत्मा को संसार मे अटकाये रखती है। मनुष्य इच्छाओं के गुलाम और दास बनकर सुख नही भोग सकता है और ना हि संसार से तिर पाता है। संसार के रिश्ते केवल शरीर तक ही है, और हमारी आत्मा का रिश्ता अनंत है । फिर मनुष्य इच्छाओं का दास बनकर अपनी गति को बिगाड़ रहा है,और संसार मे भटक रहा है। इंसान के भीतर मे संसार नहीं है यह बात मनुष्य के समझ आ जाए तो वह अपनी इच्छाओं के गुलाम नहीं बन पाएगा और इच्छाओं का दमन करके संसार के भटकाव से आत्मा को मोक्ष दिला सकता है। आश्क्ति और मोह एक ऐसा बंधन है जो हमे संसार से बाहर नहीं निकलने देता है। मनुष्य की महत्वाकांक्षा इतनी है कि वो जिंदगी भर तक उसे पूरा करे तब भी वह पूरा नहीं कर सकता है। लेकिन मनुष्य आध्याम और धर्म के सहारे से इस सच को जान सकता है, की आत्मा का इच्छाओं से कौई लेना देना नहीं है।आत्मा अकेले ही संसार मे आई थी और अकेले ही जाने वाली है। साध्वी स्नेहप्रभा ने कहा कि मनुष्य कि इच्छाएं और अरमान मनुष्य जिंदगी भर तक उसे पूरा करे तब भी वो पूरा नहीं कर सकता है। मनुष्य कि जरूरते कम है,लेकिन उसकी इच्छाओ का कौई अनन्त नहीं है। हमारी धरती सम्पूर्ण जीवो की पूर्ति करने की ताकत है लेकिन धरती इच्छाओं के दास हो चुके महत्वाकांक्षी मनुष्य की पूर्ति नहीं कर सकती है। मनुष्य कि इच्छाएं इतनी है की वो आराम से सो नहीं सकता है एक पूरा करे, उससे पहले मनुष्य की दुसरी इच्छा जागृत हो जाती है। ताउम्र मनुष्य अपनी इच्छाओं को पूर्ण करने केलिए दिन-रात पागलों की इधर उधर भागता रहता है,फिर भी उसकी इच्छाओं की पूर्ति नहीं कर सकता है।सयंक की साधना करके मनुष्य अपने मन पर अंकुश लगाकर अपनी इच्छाओं पर कन्ट्रोल कर सकता है और आत्मा अपनी इस आत्मा को संसार से सदगति दिला सकता है। श्री जैन संघ साहूकर पेठ के कार्याध्यक्ष महावीरचन्द सिसोदिया महामंत्री सज्जनराज सुराणा ने बताया इसदौरान अनेक बहनो और भाईयों ने उपवास आयंबिल एकासन व्रत के साध्वी धर्मप्रभा जी से प्रत्याख्यान लिए तथा उत्तम नाहर ने श्री कृष्ण का वेषभूषा पहनकर बहुत ही मनमोह प्रस्तुति दी।