भक्तामर स्तोत्र पाठ का फल पुण्यदायी है: आचार्य विवेक सागर
अनिल पाटनी/अजमेर। भक्ती में ही शक्ती हैं और जो शक्ती भगवान में हें वह शक्ती आपके अंदर भी आ सकती हैं, यह आपके अंदर की शक्तियां हैं आप उनसे कितना ले पाते हैं। आचार्य मानतुंगाचार्य की भक्ती में वह शक्ती थी जो उन्होंने अपने हृदय में भगवान को विराजित कर उनकी भक्ती में भक्तामर स्त्रोत की रचना कर दी! यह विचार आचार्य विवेक सागर महाराज ने सोमवार को पंचायत छोटा धड़ा नसियां में 48 दिवसीय भक्तामर स्तोत्र के समापन पर धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। आचार्य श्री ने कहा कि भक्तामर स्तोत्र भक्ति प्रधान स्तोत्र है, जैन धर्म काव्य परंपरा में भक्तामर स्तोत्र की अपनी माहात्म महिमा और गरिमा हैं, भक्तामर स्तोत्र पाठ का फल पुण्यदायी है,मन को शांति मिलती है,शरीर के रोग आदि व्याधि दूर होती है साथ ही जीवन में संकट दूर होते हैं, सुख समृद्धि आती है। इससे पूर्व महाआयोजन के अन्तिम दिवस चार मंगल कलश स्थापना एवं मांगलिक क्रियाए राकेश – कमलेश जैन , उदित कुमार – सुशीला बड़जात्या, सुशील कुमार – लीला देवी बाकलीवाल एवं महेन्द्र बाकलीवाल परिवार ने सम्पन्न कीद। आयोजन के विशेष सहयोगी लोकेश ढिलवारी का समिति अध्यक्ष सुशील बाकलीवाल महामंत्री कोमल लुहाड़िया ने अभिनन्दन पत्र देकर स्वागत किया।
48 दिवसीय आयोजन में 62 मंगल कलश की स्थापना हुई
पदम चन्द सोगानी ने बताया 48 दिवसीय भक्तामर स्तोत्र के भव्य आयोजन में 48 मंगल कलश की स्थापना होनी थी लेकिन सौभाग्यशाली परिवारों की संख्या अधिक होने पर 62 मंगल कलश की स्थापना की गई, अभुतपूर्व आयोजन में प्रात एवं सांयकालीन कार्यक्रम में बड़ी संख्या में साधर्मीजनो ने उपस्थित होकर धर्म लाभ लिया।
दिपर्चना में अंतिम दिन 144 रजतमयी दीप प्रज्ज्वलित कर किये समर्पित
सायंकाल मन्दिर प्रांगण में संगीतमय दिपर्चना मे सौभाग्यशाली परिवारजनों के साथ उपस्थित साधर्मीजनो ने रजतमयी 144 दिप प्रज्वलित कर समर्पित किये,श्रद्धालुओं ने भक्ति नृत्य किये एवं महाआरती की।
समापन पर आगामी दिनों में भव्य मंगल कलश यात्रा का आयोजन
अध्यक्ष सुशील बाकलीवाल ने बताया 48 दिवसीय भक्तामर महाआयोजन समापन के उपलक्ष्य में आगामी दिनों में भव्य मंगल कलश यात्रा निकाली जाएगी तत्पश्चात सभी 62 मंगल कलश सौभाग्यशाली परिवारजनों को प्रदान किये जायेंगे।