Saturday, May 3, 2025

बांग्लादेशी परिवार बस्ते गए, सोता रहा प्रशासन  

वैशाली नगर के चौरसियावास रोड, राती डांग, मित्र नगर, अलकनंदा कालोनी, अभियंता नगर, राजीव कॉलोनी, आरपीएससी कॉलोनी, ईदगाह रोड, दरगाह क्षेत्र, सोमलपुर सहित शहर के अन्य इलाकों में फैले, लोगों में असुरक्षा की भावना  

  • हजारों अवैध बंगलादेशी घरों में करते हैं काम

राजेन्द्र याज्ञिक

अजमेर। पहलगाम हमले के बाद से ही पूरे देश में अवैध बांग्लादेशियों शरणार्थियों की धरपकड़ तेज होती जा रही है। एक तरफ जहां गुजरात पुलिस ने सूरत और अहमदाबाद से 1000 से ज्यादा बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया वहीँ कई अन्य राज्यों की पुलिस भी अवैध शरणार्थियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रही है। सूत्रों के अनुसार अब राजस्थान पुलिस भी अब इन अवैध बांग्लादेशियों शरणार्थियों पर कार्यवाही करने का मन बना चुकी है।    
अजमेर शहर के विभिन्न इलाकों में अवैध रूप से सीमा पार से आए हजारों बांग्लादेशी सालों से अपना वर्चस्व बढ़ाने में लगे है। यहां तक कि इन लोगों ने अपने अवैध रूप से मकान भी बना लिए हैं तथा बच्चों को जन्म देने में लगे हुए है। यह ऐसे बांग्लादेशी है, जिन्हें भारत की राष्ट्रीयता से कोई सरोकार नहीं है वे केवल अपना कुनबा बढ़ाने में लगे है। वैशाली नगर के जनता कालोनी, चौरसियावास रोड, राती डांग, मित्र नगर, छतरी योजना, अलकनंदा कालोनी, अभियंता नगर, राजीव कॉलोनी, आरपीएससी कॉलोनी, ईदगाह रोड, दरगाह क्षेत्र, सोमलपुर सहित शहर के अन्य इलाकों में फैल चुके है। परिवार के रूप मे रहने वाले इन बांग्लादेशियों की महिलाएं घरों में साफ सफाई आदि का काम करती है। इसके अलावा होम केयर के रूप में भी अपनी सेवाएं दे रही है, जबकि उनके शौहर मजदूरी का काम करके गुजारा करने का दावा करते है। इसी तरह उपरोक्त क्षेत्रों में भी अवैध रूप से इन बांग्लादेशियों ने अपना प्रभुत्व जमा लिया है। पूछने पर यह खुद को पश्चिम बंगाल, बिहार, मध्य प्रदेश या यूपी का निवासी बताते है, लेकिन उनके पास आधार कार्ड नहीं होता। ऐसे कई लोगों से संपर्क किया गया तो उनका कहना था कि उनका आधार कार्ड गांव मे है। खास बात है कि वे सालों से अजमेर में रहते हुए भी हिंदी बोलना नहीं जानते है और बंगाली में ही बात करते है। अफसोस जनक हालात यह है कि पुलिस या सीआईडी ऐसी कालोनियों में किसी तरह का सर्वे नहीं कराती है, जबकि केवल दरगाह के आसपास ही कार्यवाही की जाती है। ऐसे लोगों से खतरा बना हुआ है कि वे कभी भी सामाजिक एकता को खतरे में डाल सकते है। यहां तक कि पुलिस की अनदेखी से उनके हौसले बुलंद हो रहे है। इस हालात के जिम्मेदार वे भी है जो बिना आधार कार्ड के बांग्लादेश की महिलाओं को अपने घर में कामकाज के लिए रख लेते है।
पुलिस की चेतावनी की अनदेखी से खतरा बढ़ा
उल्लेखनीय है कि शहर के कई इलाकों में पहले इस तरह की वारदातें हो चुकी है कि नौकर घरों से लाखों का माल लेकर चंपत हो गए है। इसके अलावा नौकरों द्वारा मकान मालिक की हत्या करके चोरी करने की कई घटनाएं सामने आ चुकी है। जब भी ऐसा हुआ है तब पुलिस अधीक्षक की ओर से चेतावनी दी जाती है कि घरों में नौकर केवल उसे ही रखें जिसके पास से उसके आधार कार्ड की फोटो प्रति जमा की जा सके। हजारों की तादाद में अपनी वास्तविक पहचान छिपाकर घरों मे काम करने वाली बांग्लादेश की महिलाएं, मजदूरी करने वाले उनके शौहर कभी भी खतरा बन सकते है। सबसे खास बात है कि पिछले सालों की तुलना में ऐसे परिवारों की तादाद में निरंतर इजाफा हो रहा है। जो परिवार एक बार यहां जम जाता है वह अपनी पहचान के अन्य परिवारों को भी संरक्षण देने के नाम पर अजमेर बुला लेता है। खुफिया विभाग के सूत्र मानते है कि पश्चिम बांग्लादेश, त्रिपुरा और असम से आने वाले बांग्लादेशी आसानी से सीमा पार करके अजमेर में अपने पांव जमा रहे है। इसमें भी संदेह नहीं कि ऐसे कई लोग भी सक्रिय है जो फर्जी आधार कार्ड भी बना देते है। इसलिए ऐसे घुसपैठियों की गहनता से जांच करके अजमेर से बाहर का रास्ता दिखाया जाना चाहिए। 

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