Tuesday, December 3, 2024

दुर्गापुरा में 37वे पावन वर्षायोग 2024 पर मंगल कलश स्थापना का आयोजन हुआ

जयपुर। श्री दिगम्बर जैन मंदिर चन्द्रप्रभ जी दुर्गापुरा जयपुर में गुरुवार दिनांक 25.07.2024 को दिन में 1.15 बजे से संत शिरोमणि आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महा मुनिराज के परम शिष्य मुनि श्री 108 पावन सागर जी महाराज एवं मुनि श्री 108 सुभद्र सागर जी महाराज ससंघ का 37वां पावन वर्षायोग 2024 मंगल कलश स्थापना का आयोजन बड़े भक्ति भाव से सम्पन्न हुआ। चातुर्मास संयोजक कमल छाबड़ा वन्दना जैन ने बताया कि सर्व प्रथम ध्वजारोहण जी.सी.जैन श्रीमती विशल्या देवी जैन ने किया। चित्र अनावरण एवं दीप प्रज्वलन श्री 1008 चन्द्रप्रभजी जी भगवान के चित्र के समक्ष पवन कुमार जैन – श्रीमती गुणमाला जैन,आचार्य श्री के चित्र का अनावरण एवं दीप प्रज्ज्वलन‌ बाहर से पधारे अतिथियों द्वारा किया गया। मंगलाचरण की सुन्दर प्रस्तुति इतिश्री काला, छवि पांड्या एवं रूचि जैन ने दी।
भोजन पुण्यार्जक परिवार पंडित गुलाब चन्द जी जैन, गंगवाल परिवार थे। आगंतुक अतिथियों का, विभिन्न मंदिरों के पदाधिकारी व श्रेष्ठीजन एवं पुण्यार्जक परिवारजन का सम्मान ट्रस्ट एवं महिला मण्डल के सदस्यों ने किया। श्री दिगंबर जैन मंदिर चन्द्रप्रभजी ट्रस्ट दुर्गापुरा जयपुर मुनि संघ को श्रीफल भेंट किया। पाद प्रक्षालन अनिल कुमार लुहाड़िया सिकन्दरा वाले, शास्त्र भेंट स्वर्गीय श्री छोटे लाल जी प्रकाशी देवी पांड्या खोरा वाले परिवार ने किया। मुनि श्री की आरती श्री दिगम्बर जैन चन्द्रप्रभु महिला मण्डल दुर्गापुरा की अध्यक्ष रेखा लुहाड़िया मंत्री रानी सोगानी एवं समस्त कार्यकारिणी ने की। श्री दिगम्बर जैन मंदिर चन्द्रप्रभ जी ट्रस्ट दुर्गापुरा जयपुर के अध्यक्ष प्रकाश चन्द चांदवाड़ मंत्री राजेन्द्र काला ने बताया कि चातुर्मास कलश माणक चन्द कमल छाबड़ा ने, मंगलकलश पारस कुमार मनीष जी जैन माधोराजपुरा वाले, शांतिकलश हीराचन्द आशा जैन, ज्ञानकलश श्रीमती अनूप देवी , शिखर चंद कासलीवाल , विद्याकलश कमल काला कीर्ती नगर ने लेकर पुण्यार्जन प्राप्त किया। ताराचन्द कमला देवी जैन काला परिवार चन्दलाई वाले ने चातुर्मास में सहयोग प्रदान किया। विधानाचार्य पंडित अजीत जैन ने अष्ट द्रव्य से आचार्य श्री विद्या सागर जी, आचार्य समय सागर जी, मुनि श्री पावन सागर जी की महिला मण्डल व ट्रस्ट ने बड़े भक्ति भाव से पूजन की। परम पूज्य मुनिश्री 108 पावनसागर जी महाराज के प्रवचन हुए। अंत में जिनवाणी स्तुति हुई।

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