भविष्य में धर्म और संस्कृति को जीवंत रखेंगे पाठशाला के संस्कार: राजुल जैन
अजय जैन/शाबाश इंडिया। श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में रविवार को 03 वर्ष से लेकर 16 वर्ष तक के जैन समाज के बालक बालिकाओं को जैन तीर्थंकरों की पूजन विधि की जानकारी दी गयी।इस जानकारी के तहत भगवान की पूजा कैसे की जाती है?पूजन में कितने द्रव्य सम्मिलित होते हैं? उसमे किन बातों का ध्यान रखा जाता है जैसी बातें शामिल थी ।इस मौके पर छोटे बच्चों से स्वयं पूजा करवाकर उन्हें वास्तविक पूजा विधि सिखाई गयी। बच्चों की प्रशिक्षक कुमारी राजुल जैन ने बताया की हर रविवार को सुबह 07 बजे से 10 बजे तक छोटे बच्चों से लेकर बड़े बच्चों तक के लिए जैन धार्मिक शिक्षण क्लास का आयोजन किया जाता है ।
जिसमे बच्चों को जैन धर्म की प्रारंभिक शिक्षा,पद्धति, 24 तीर्थंकरों का परिचय, जैन धर्म के मूल सिद्धांत -अहिंसा परमो धर्म, जियो और जीने दो, श्रावक के कर्तव्य आदि की शिक्षा दी जाती है, जिससे बच्चे भविष्य में बेहतर नागरिक बने और जैन धर्म के सत्य और अहिंसा के पथ पर आगे बढ़ते हुए देश की सेवा करें। राजुल जैन ने बताया कि धार्मिक शिक्षण पाठशाला को सुचारु रूप से एवं नियमित चलाने में व्यवस्थापक के रूप में विन्रम एकेडमी की प्रशिक्षकों का विशेष योगदान रहता है। साथ ही बच्चों को मोटिवेट करने के उद्देश्य से उनके अल्पाहार एवं पुरस्कार के पुण्यार्जन में जैन समाज अम्बाह के पुण्यशाली परिवार एवं सदस्यों का सहयोग मिल रहा आयोजन में बोलते हुए पवन जैन छोटू ने कहा कि विन्रम एकेडमी अम्बाह के बच्चों को जो संस्कार समाज की बहनों द्वारा दिए जा रहे हैं, वह एक सराहनीय एवं प्रशंसन्नीय प्रयास है। जो बहनें इन अबोध बालक-बालिकाओं को इतनी कम उम्र में पूजन सिखाकर एवं जैन धर्म की प्रारंभिक शिक्षा नैतिक सहित धार्मिक संस्कार देकर उनका जीवन तो उन्नत कर ही रही हैं। साथ ही आज जो बड़े-बड़े विशाल मंदिर बन रहे हैं, तीर्थक्षेत्र निर्मित हो रहे हैं। उनमें भविष्य में पूजन, प्रक्षाल, उनकी सुरक्षा आदि करने वाले साधर्मियों को भी तैयार कर रही हैं। इन पाठशालाओं के माध्यम से धर्म-संस्कृति तो सुरक्षित होगी ही साथ ही इनमें शामिल होने वाले बच्चो का मोक्षमार्ग भी प्रशस्त होगा कार्यक्रम के दौरान विन्रम एकेडमी के बच्चों ने विशेष रविवारीय पूजन भी किया।