डाॅ. अखिल बंसल
देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने फैसलों से सभी को आश्चर्य चकित करने के लिए जाने जाते हैं। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के चुनाव में उन्होंने किसी भी चेहरे को आगे लाए बिना अपनी दमखम पर चुनाव को जितवाया है। इन राज्यों के मुखिया बनाने में भी अपने आगे किसी की नहीं चलने दी। यही कारण है कि भाजपा ने तीनों ही राज्यों में अपनी विजय पताका फहराकर सभी को आश्चर्यचकित कर दिया। मुख्यमंत्री के चयन में भी मोदी – शाह ने सभी को चौंका कर छत्तीसगढ़ में विष्णुदत्त साय, मध्यप्रदेश में डॉ मोहन यादव तथा राजस्थान में भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री का दायित्व सौंप कर यह सिद्ध करने की कोशिश की है कि आम राजनेताओं की सोच जहां समाप्त होती है मोदी की सोच वहां से प्रारंभ होती है। मुझे यह कहने में कतई संकोच नहीं है कि लोकतंत्र में आज एक नए अध्याय का सूत्रपात हुआ है। भविष्य के इरादे से नया नेतृत्व खड़ा करने के पवित्र उद्देश्य से यह बदलाव निश्चित ही मिल का पत्थर साबित होगा। तीनों ही प्रदेशों में राज्य का मुखिया उन्हें बनाया गया है जो संगठन के लिए समर्पित रहे हैं। छत्तीसगढ़ में आदिवासी, मध्यप्रदेश में ओबीसी तथा राजस्थान में सवर्ण वर्ग का मुखिया चुनकर सभी समाज के सभी वर्गों का ध्यान रखने की कोशिश की गई है। इन तीनों राज्यों में रमन सिंह, शिवराज सिंह तथा वसुंधरा राजे जैसे दिग्गज नेताओं को किनारे कर नए युवा चेहरों पर दाव लगाया है। इस निर्णय से हर वर्ग को साधने का उनमें उत्साह भरने का संदेश जाहिर होता है तथा यह भी जताने की कोशिश है की आखिरी कतार का कार्यकर्ता भी उच्च पद हासिल कर सकता है। छत्तीसगढ़ के मुखिया विष्णु देव साय आदिवासी समुदाय का बड़ा चेहरा हैं। सौम्य हैं तथा प्रशासनिक अनुभव भी पर्याप्त रखते हैं। वे दो बार प्रदेश अध्यक्ष रहे अतः संगठन में भी अच्छा खासा तजुर्बा हासिल है। राज्य में 90 में से 29 सीटों पर इस समुदाय का प्रभाव है जो राज्य में आबादी का 33% है। विष्णु देव साय राज्य के छठवें मुख्यमंत्री होंगे; उनके साथ अरुण साव व विजय शर्मा को डिप्टी सीएम व पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को स्पीकर का दायित्व सोपा गया है। मध्यप्रदेश में भी बड़ा दाव खेला गया है। विपक्षी दलों द्वारा जातीय जनगणना की मांग जोर शोर से उठाई जा रही है। लोकसभा चुनाव की विसात भी अभी से बिछने लगी है अतः मध्य प्रदेश में डॉ मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा के पक्ष में ओबीसी वोट बैंक को सादा गया है।डा. मोहन यादव मध्य प्रदेश के साथ उत्तर प्रदेश में ओबीसी वोट बैंक में सेंध लगाकर भाजपा का काम आसान करने में मददगार सिद्ध होंगे। यहां भी दो उपमुख्यमंत्री बनाए हैं एक हैं ब्राह्मण नेता राजेन्द्र शुक्ला तथा दूसरे हैं दलित नेता जगदीश देवड़ा। इस तरह मध्य प्रदेश में भी जातिगत संतुलन बैठाने की कोशिश की है। नरेन्द्र सिंह तोमर को विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया है। मध्यप्रदेश में लगभग आदि आबादी ओबीसी की है और 72 सीटों पर इस समुदाय का अच्छा खासा दबदबा कायम है। डाॅ. मोहन यादव जो कि पूर्व शिक्षा मंत्री हैं, तीन बार के विधायक हैं व राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े रहे 58 वर्ष के युवा हैं। वे निश्चित ही अपनी दमखम लोकसभा चुनाव में दिखाकर भाजपा को लाभ पहुंचाएंगे। राजस्थान में भजनलाल शर्मा को प्रदेश का मुखिया बनाकर पूरे उत्तर भारत को साधने की कोशिश की गई है। वे लोकसभा चुनाव की दृष्टि से जातिगत समीकरण में ब्राह्मण चेहरे के रूप में बिल्कुल फिट बैठते हैं। निर्विवाद चेहरे के रूप में संगठन में उन्हें 34 वर्ष का अच्छा खासा अनुभव है। संघ की पृष्ठभूमि से आने वाले जमीनी कार्यकर्ता होने से वे लोकसभा चुनाव में निश्चित ही लाभ पहुंचाने की स्थिति में हैं। उनके साथ 52 वर्षीय दिया कुमारी और 54 वर्षीय डॉ प्रेमचंद बैरवा को उपमुख्यमंत्री व वासुदेव देवनानी को विधानसभा अध्यक्ष बनाकर मोदी शाह की जोड़ी ने यहां भी सभी को चौंकाया है। भाजपा ने जातियों व छत्रपों का वर्चस्व तोड़कर सभी वर्गों का ध्यान रखा है। तीनों राज्यों में भाजपा नेतृत्व ने यह संदेश देने का प्रयास किया है कि समर्पित वरिष्ठावन कार्यकर्ता को बड़ा पद कभी भी मिल सकता है।