Thursday, November 21, 2024

श्रीराधा सरल बिहारी मंदिर में श्रीमद भागवत कथा का चौथा दिन

भक्त के विश्वास को पूर्ण करते है प्रभु: मृदुल कृष्ण
जयपुर।
टोंक रोड, बीलवा, मानपुर नांगल्या स्थित श्रीराधासरल बिहारी मंदिर में चल रहे श्रीमद भागवत कथा ज्ञानयज्ञ चौथे दिन मंगलवार को भागवत कथा में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव नंदोत्सव के रूप में मनाया गया। इस मौके पर आयोजक सरला गुप्ता, रजनीश गुप्ता व दिव्या गुप्ता नंद के आनंद भयो,जय कन्हैया लाल की…यषोदा जायो ललनाकृजैसे बधाई गीतों के बीच फल, खिलौने, मेवे व फल की जमकर उछाल लुटाई। इस मौके पर कार्यक्रम स्थल भक्ति और आस्था की त्रिवेणी में डुबा नजर आया।
इस अवसर पर परम श्रद्धेय आचार्य गोस्वामी श्री मृदुल कृष्ण जी महाराज जी ने कहा कि भक्त के विश्वास को पूर्ण करते है प्रभु। भक्त के भाव को, अपने इष्ट के प्रति भक्त की आस्था को केवल प्रभु ही समझ सकते हैं, इसीलिए जीव को अपना दुख संसार के सामने नहीं केवल प्रभु के सामने ही प्रकट करना चाहिए। प्रभु पालनहार है, वे शरण में आये भक्त के सारे दुखों को हर लेते है।
आचार्य गोस्वामी श्री मृदुल कृष्ण जी महाराज जी ने कहा कि भगवान का परम भक्त प्रहलाद, जिसे कि पिता हिरण्यकशिपु के ने अति भयंकर कष्ट दिए,यहां तक कि श्री प्रहलाद जी को विष पिलाया गया। हाथी से कुचलवाया गया. अग्नि में जलाया गया। तरह-तरह की यातनाएं दी गई,परन्तु श्री प्रहलाद जी हर जगह अपने प्रभु का ही दर्शन करते थे। इसलिए उन्हें कहीं भी किसी भी प्रकार की पीडा का एहसास नहीं हुआ। उन्हें विश्वास था कि हमारे प्रभु सदा-सर्वदा सर्वत्र विराजमान रहते है। तो प्रभु श्रीनृसिंह भगवान भक्त के विश्वास को पूर्ण करते हुए खम्भ से प्रगट होकर यह दिखा दिया कि भक्त की इच्छा एवं विश्वास को पूर्ण करने के लिए वह कहीं भी किसी भी समय प्रगट हो सकते है।
आचार्य श्री ने कहा कि जीव को किसी की निन्दा स्तुति करने के बजाय भगवान की ही चर्चा करनी एवं सुननी चाहिए। प्रभु चरित्रों को श्रवण करने से भगवान का चिन्तन करने से की कृपा निश्चित रूप से प्राप्त होती है। उन्होंने कहा कि विशाल पेड़ जिस प्रकार छोटी सी कुल्हाड़ी से कट जाता है उसी प्रकार प्रभु के चरण कमल का स्मरण करने से जीव के सारे पाप कट जाते है। इसके लिये उसे प्रभु की शरण में आना होगा। प्रभु की हर इच्छा, प्रत्येक लीला कोहल्ह्ह प्रसन्नता से स्वीकार करने वाला ही सच्चा भक्त होता है। भक्त को अपने आदर सत्कार या सम्मान की कामना नहीं होती। वह तो हर कार्य प्रभु की सेवा समझकर करता है और ऐसी भावना को ही प्रभु स्वीकार करते हैं वह तो केवल भाव के भूखें हैं, क्योंकि परमात्मा न तो साकार है न निराकार है वो तो भक्त की इच्छा के अनुसार तदाकार हैं। जैसे भक्त चाहता है उसे उसी रूप में प्रभु प्राप्त होते हैं।
आयोजक सरला गुप्ता, रजनीश गुप्ता व दिव्या गुप्ता ने बताया कि महोत्सव के तहत बुधवार को श्रीकृष्ण बाल लीला, माखनचोरी लीला व गोवर्धन लीला व 15को श्रीमहारास लीला, गोपी गीत व द्वारिका लीला की कथा सुनाएंगे। उन्होंने महोत्सव के अंतिम दिन 15 को श्रीनवयोगेश्वर संवाद, द्वादश स्कंध के बाद कथा की पूर्णाहुति होगी। 15 दिसम्बर तक कथा रोजाना दोपहर 2बजे से साम 6बजे तक होगी।

- Advertisement -spot_img

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest article