विजय गर्ग
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) और संयुक्त राष्ट्र की टीम ने संयुक्त राष्ट्र की ‘डिकेड आफ हेल्दी एजिंग 2021- 2030’ रपट जारी की है। रपट में 136 देशों पर किए गए सर्वेक्षण का परिणाम भी शामिल है, जो बताता है कि 83 फीसद देशों में उम्र के आधार पर भेदभाव को लेकर राष्ट्रीय कानून बन चुके हैं, जबकि 2020 में 60 फीसद देशों में ऐसा कानून था। रपट में कहा गया है कि कोविड- 19 महामारी के कारण 80 फीसद से अधिक मौतें उन लोगों की हुई जिनकी उम्र 60 वर्ष से अधिक थी।
इस प्रगति के बावजूद अभी आगे के प्रयासों की और जरूरत है। रपट में कहा गया है कि बुजुर्गों को बेहतर जीवन देने के लिए उम्र और बुढ़ापे के बारे में लोगों के सोचने, महसूस करने और कार्य करने के तरीके को बदलना होगा। यह सुनिश्चित करना होगा कि समुदाय वृद्ध लोगों की क्षमताओं को बढ़ावा दें, वृद्ध लोगों के प्रति उत्तरदायी बने । प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जाए और जरूरतमंद वृद्ध लोगों को लंबी अवधि तक देखभाल तक पहुंच प्रदान की जाए।
एक क्षेत्र जहां अधिक सुधार की आवश्यकता है, वह है उम्र बढ़ने और स्वास्थ्य पर एक राष्ट्रीय बहु-हितधारक मंच या समिति बनाई जाए। इस क्षेत्र में 67 से 74 फीसद तक केवल सात फीसद की वृद्धि देखी गई है।
चिंता की बात यह है कि स्वस्थ तरीके से उम्र बढ़ने का समर्थन करने के लिए नीतियों, कानून, कार्यक्रमों और सेवाओं वाले देशों का अनुपात निम्न और मध्यम आय वाले देशों में कम है। फिर भी दुनिया भर में 2050 तक 80 फीसद वृद्ध लोग इन्हीं देशों में रहेंगे। यह सुनिश्चित करने में भी चुनौतियां बनी हुई हैं कि वृद्ध लोग दशक की कार्रवाई के केंद्र में हों, स्वस्थ तरीके से उम्र बढ़ने वाले देशों के मंच में, तीन में से एक में वृद्ध लोग शामिल नहीं हैं। रपट में कहा गया है कि, महिलाओं के स्वास्थ्य और कल्याण को लेकर दुनिया भर में आठ लाख से अधिक प्रतिक्रियाएं एकत्र की गई हैं, जिनमें से 15 फीसद 55 से अधिक उम्र की महिलाओं से हैं और आठ फीसद 65 से अधिक उम्र की महिलाओं के हैं। इन देशों में बुर्किना फासो, कंबोडिया, मिस्र, इथियोपिया, घाना, भारत, केन्या, मैक्सिको, नाइजीरिया, पाकिस्तान, फिलीपींस, सेनेगल सर्बिया और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं।
रपट के हवाले से, डब्लूएचओ के महानिदेशक डाक्टर टेड्रोस एडनोम घेबियस ने कहा कि, हमें और अधिक राजनीतिक प्रतिबद्धता की आवश्यकता है, खासकर निम्न और मध्यम आय वाले देशों में स्वस्थ तरीके से उम्र बढ़ने में सहायता के लिए हमें अधिक निवेश की आवश्यकता है। हमें अधिक, बेहतर प्रशिक्षित और समर्थित स्वास्थ्य और देखभाल कार्यकताओं की जरूरत है। हमें उन निर्णयों में वृद्ध लोगों की अधिक सार्थक भागीदारी की आवश्यकता है जो उनके लिए मायने रखते हैं।
उन्होंने कहा कि डब्लूएचओ आंकड़ों के संग्रह और विश्लेषण, निगरानी और मूल्यांकन में राष्ट्रीय क्षमताओं का निर्माण करने, एकीकृत और लंबे समय तक देखभाल करने के लिए स्वास्थ्य और देखभाल कार्यकताओं को प्रशिक्षण देने, उम्र के अनुकूल शहरों और समुदायों का निर्माण करने और उम्रवाद का मुकाबला करने के लिए भागीदारों के साथ काम करना जारी रखेगा। उन्होंने बताया कि अगली प्रगति रपट 2026 में जारी की जाएगी तथा अंतिम प्रभाव रपट 2029 में जारी की जाएगी।
विजय गर्ग सेवानिवृत्त प्रिंसिपल शैक्षिक स्तंभकार मलोट