जयपुर। परम पूज्य आचार्यश्री पुष्पदंतसागरजी महाराज के सुयोग्य शिष्य परम पूज्य संस्कार प्रणेता ज्ञानयोगी आचार्य श्री सौरभ सागर जी महाराज ने रविवार को श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र मन्दिर संघीजी सांगानेर में हुई धर्म सभा में संबोधित करते हुए कहा कि बचपन में दिए गए संस्कार शिक्षा पूरे जीवन में काम आती है। आज के परिवेश में सभी माता-पिताओं को सीख देए हुये आचार्यश्री ने कहा कि अपने बच्चों को बचपन से ही धर्म की नैतिकता की षिक्षा देनी चाहिए, क्योंकि छोटा बच्चा कच्ची मिट्टी की भांति होता है उसे अपन जैसा आकार देना चाहे दे सकते है। जैसे गीली मिट्टी को आकार दिया जा सकता है लेकिन सूखने के बाद उसको आकार देना मुश्किल है उसी प्रकार बच्चे के बडे हो जाने के बाद बदलना मुश्किल हो जाता हैं। हमें अपने बच्चों को एक हंस की भांति उज्जवल जीवन वाला बनाना चाहिए ताकि, जैसे हंस दूध व पानी का भेद निकालता है उसी प्रकार एक संस्कार सम्पन्न व्यक्ति संसार में अच्छा बुरा का निर्णय लेने में सक्षम होता है।
बगुला और हंस का उदाहरण देते हुए आचार्यश्री ने कहा कि पानी में बगुला मछली रूपि बुराई को पकडेगा तो हंस पानी में मोती ढूंढेगा। जबकि दोनो का रूप रंग एक सा ही है लेकिन परिणाम स्वभाव में आता है। इसलिये अपने बच्चों का बगुला भक्त मत बनाओं एक संस्कार सम्पन्न व्यक्ति बनाओं। आचार्यश्री ने कहा कि संडे का संतडे या भगवन्त डे बनालो जीवन सुधर जायेगा। हर संडे को संतों के सानिध्य में आओ, संत दूर है तो मन्दिरजी में भगवान के दर्शनों को जावो यह नियम बनालो आपका जीवन सुधर जाएगा। इसीदिन दोपहर में आचार्यश्री सौरभसागरजी महाराज ने त्रिवेणीनगर जैन मन्दिर के लिए विहार किया।