गुंसी, निवाई। श्री दिगम्बर जैन सहस्रकूट विज्ञातीर्थ गुन्सी (राज.) में विराजमान भारत गौरव गणिनी आर्यिका विज्ञाश्री माताजी ने उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा कि – जीवनमें सहनशीलता का बड़ा महत्व है। यह एक ऐसा सत्य है, जिससे प्राय: सभी लोगों को अपने जीवनकाल में रू-ब-रू होना पड़ता है। सहनशील होना एक गुण है, जिससे जीवन का वास्तविक विकास होता है। आज हमारे जीवन में दुख और तनाव हावी हैं। इसका परिणाम यह है कि हम थोड़े से कष्टों से शीघ्र घबरा जाते हैं, क्रोधित हो जाते हैं। सहनशीलता का गुण अभ्यास से सीखा जा सकता है। प्रत्येक कार्य करने की योजना एक सुनिश्चित ढंग से बनाने और उस पर अमल करने से ही सही दिशा में बदलाव संभव है। अच्छे लोगों की संगति, चिंतन विचारों को शुद्ध बनाए रखने से समाज में प्रतिष्ठा प्राप्त हो सकती है। सहनशीलता का गुण जाने से दोस्तों और पड़ोसियों के बीच आदर होता है। जल्दी तनाव या क्रोध नहीं पाता। इसलिए सहनशील बने रहकर निज लक्ष्य की ओर बढ़ना चाहिए। संतुष्टि प्राप्त करने वाला व्यक्ति धन और भौतिक सुख सुविधाओं का अभाव होने पर भी हर हाल में सुखी ही रहता है। हमारे धर्मशास्त्रों और मनीषियों ने संतुष्टि के आधार पर समृद्धि प्राप्त करने के कुछ महत्वपूर्ण तत्व बताए हैं। आगामी 10 दिसम्बर 2023 को होने वाले पिच्छिका परिवर्तन एवं 108 फीट उत्तुंग कलशाकार सहस्रकूट जिनालय के भव्य शुभारम्भ में सम्मिलित होकर इस सुअवसर में साक्षी बनकर पुण्यार्जन करें।