विशिष्टता प्राप्ति के लिए तप जरूरीः जगद्गुरु शंकराचार्य
जयपुर। श्रीमती नर्बदा देवी शर्मा धर्मपत्नी विष्णु शर्मा की पुण्य स्मृति में झोटवाड़ा रोड स्थित श्री चमत्कारेश्वर महादेव मंदिर मे चल रहे श्रीमद भागवत कथा ज्ञानयज्ञ के तीसरे दिन रविवार को विभिन्न स्थानों से आए भक्तों ने सुबह पादुका पूजन किया। इस मौके पर भागवत कथा ज्ञानयज्ञ में काशी धर्मपीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नारायणानन्द तीर्थ स्वामी जी ने कहा कि इंसान कभी भी विशिष्टता प्राप्त करता है तो उसके पीछे उसका तप ही प्रमुख होता है। सृष्टि के आदि में ब्रह्मा की उत्पत्ति जब हुई तो उन्होंने अपने स्वरूप तथा स्वकारण का परिज्ञान तप करके ही प्राप्त किया था। तप से ही ईश्वर का साक्षात्कार संभव है। उदाहरण स्वरूप जगद्गुरु शंकराचार्य ने मनु सतरूपा, महाराज दशरथ,परम भागवत ध्रुव एवं प्रह्लाद आदि ने इसी के माध्यम से जीवन में जगदीश की प्राप्ति की है। भगवान शिव की आराधना करने वाला भक्त कभी दुःखी नहीं रहता। भगवान भोलेनाथ हर भक्त की सुनते हैं। भोले की भक्ति में शक्ति होती है। भगवान भोलेनाथ कभी भी किसी भी मनुष्य की जिंदगी का पासा पलट सकते हैं। बस भक्तोंं को भगवान भोलेनाथ पर विश्वास करना चाहिए और उनकी प्रतिदिन आराधना करनी चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि शिवलिंग की आधी परिक्रमा कर नंदी दर्शन कर पुनः लौटने पर परिक्रमा पूरी मान ली जाती है। इसी तरह तीन बार आधी परिक्रमा पर नंदी दर्शन करने से तीन परिक्रमा पूरी मान ली जाती है। बिना नंदी दर्शन के भगवान शिव की परिक्रमा पूरी नहीं मानी जाती है। इस दौरान काशी के वैदिक विद्वानों द्वारा नित्य प्रति आवाहित देवताओं की आराधना तथा श्रीमद्भागवत का मूल पारायण चल रहा है। आयोजक हरीश-ज्योति शर्मा ने बताया कि रविवार को श्रीवराह अवतार,श्रीकपिलोख्यान, श्रीशिवपार्वती चरित्र और ऋषभदेव अवतार की कथा सुनाएंगे। उन्होंने बताया कि ज्ञानयज्ञ के तहत सोमवार को श्रीप्रहलाद चरित्र,समुद्र मंथन लीला,श्रीराम जन्मोत्सव के बाद भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। उन्होंने बताया कि महोत्सव के तहत 5को श्रीकृष्ण बाल लीला,माखनचोरी लीला व गोवर्धन लीला व 6 को श्रीमहारास लीला,गोपी गीत व द्वारिका लीला की कथा सुनाएंगे। उन्होंने महोत्सव के अंतिम दिन 7 को श्रीनवयोगेश्वर संवाद, द्वादश स्कंध के बाद कथा की पूर्णाहुति होगी। कथा रोजाना दोपहर 2बजे से साम 5बजे तक होगी।