एक पाठक की नजर में...
कोई शक नही कि मोदी एक ब्रांड बन चुके हैं। बीजेपी की एक अलग से प्रचार संस्था है जिसे हम “आरएसएस” कहते हैं। इसी के “स्वयं सेवक” घर-घर जा कर इलेक्शन की बागडोर संभालते हैं। दूसरी ओर कांग्रेस है जिसका एक कार्यकर्ता नहीं दिखा जो घर घर जाकर पर्चियां बंटता हो। यह पार्टी अपने 50/55 साल के राज को भुनाते भुनाते खुद भट्ठी में चने की तरह भून गई। कब तक विरासत और कांग्रेस के इतिहास के नाम पर वोट मांगोगे? माफ करना, मुझे कहना नही चाहिए यदि कांग्रेस के हिस्से में आए मुस्लिम मतदाताओं के वोट निकाल दो तो लगभग सभी प्रत्याशियों की जमानते जब्त हो जायेंगी। मुस्लिमों की अनुकम्पा से जीतने वाली पार्टी की यही विशेषता आने वाले समय में इसकी कमजोरी बन गई और वो इसे अपनी ताकत का भ्रम पाले रही। कांग्रेस ने समूची मुस्लिम कौम पर उसकी विलक्षण प्रतिभा के विपरीत उसपर “कांग्रेस वोट बैंक” का लेबल चस्पा दिया। इस कौम का स्वरूप ही बिगाड़ दिया। कांग्रेस के पिछलग्गू मुस्लिम नेताओं ने अपनी पार्टी को कभी कटघरे मे नही रखा कि बरसों से सत्ता सुख दिलाने वाली मुस्लिम कौम की शैक्षणिक, आर्थिक, सामाजिक दशा क्यों नही सुधरी, पार्टी सिर्फ वोटों का सुख ही प्राप्त करती रही? अल्प संख्यक सीढ़ी पर चढ़ कर सत्ता सुख लेना विशाल हिंदुओं को यह अहसास दिलाता है कि हम भारत के मूल वासी और निर्माणकर्ता हैं और हमारे विखंडन के कारण कांग्रेस मुस्लिमों के कुछ लाख वोट लेकर हमारे करोड़ों वोटों को निष्क्रिय कर देती है। और 55 सालों से जीतती आ रही है। इस नुक्ते को मोदी ने पहचाना और “हिंदू कार्ड” चला इसी को हिंदू पोलराइजेशन कहते हैं। यह इतनी तीव्रता से हुआ कि 9 साल में सब बदलने लग गया। जैसे हिंदुओं को सदियों की गुलामी से आजादी मिली हो। सांस लेने को खुली हवा मिली हो। आम हिंदू सोचने लगा कि जब मुस्लिम देश इस्लाम की धुरी पर अपना देश चला सकते है तो हिंदू, राम – कृष्ण के नाम पर राज क्यों नही कर सकते? कांग्रेसी नेता/प्रवक्ता सेकुलरिज्म और संविधान की दुहाई देते रहे पर हिंदू अंदर ही अंदर अपनी जात बिरादरी को दरकिनार कर एकजुट होता गया किसी को भनक भी नही लगी और रिजल्ट इन तीन राज्यों की जीत में प्रलक्षित हुआ। जब हिंदुइज्म को दरकिनार और उसकी अहमियत को ही नज़दाज किया जा रहा हो तो सेकुलरिज्म को पाल कर क्या हासिल कर लेंगे…? यह सोच बनाने लग गई थी हिंदुओं की। इन हालातों को बीजेपी विशेषकर मोदी ने समझा और उन्होंने समूची बीजेपी को मुस्लिम विहीन बनाना शुरू किया। आज उनकी पार्टी में न कोई मुस्लिम पदाधिकारी है न ही मुस्लिम प्रत्याशी, यह खुला संदेश था मुस्लिमों को। इसी से हिंदुओं में विश्वास जागा कि कोई तो है राम की चिंता करने वाला। 80 करोड़ हिंदुओं की काट मुसलमानों के तुष्टिकरण से नहीं हो सकती, अब यह तय हो गया है।
ओंकार सिंह
जवाहर नगर, जयपुर