Monday, November 11, 2024

जीवन की यात्रा में धूप और छाया का समावेश होता रहता है: आचार्य वसुनंदी महाराज

बोलखेड़ा। अंतिम अनुबद्ध केवली भगवान जम्बू स्वामी की तपोस्थली पर विराजमान दिगंबर जैन आचार्य वसुनंदी महाराज ने कहा की मानव जीवन अनेक विषमताओं से भरा हुआ है संसार में एक भी प्राणी ऐसा नहीं मिलेगा जिसके जीवन में निरंतर धूप धूप हो और ऐसा भी कोई प्राणी नहीं मिलेगा जिसने अपनी जीवन यात्रा सदैव छाया में ही पूर्ण की हो। अर्थात दुख और सुख जीवन की गाड़ी के दो पहलू हैं जिसे प्रत्येक मानव को साक्षात्कार करना होता है। आचार्य ने कहा की फूलों के साथ शूल अवश्य ही प्राप्त होते हैं नदी के किनारे भी दो होते हैं एक अनुकूल और दूसरा प्रतिकूल इसी प्रकार जीवन में कई बार अनुकूलता ही अनुकूलता होती है तो कई बार प्रतिकूलता ही प्रतिकूलता होती है पाप के उदय में व्यक्ति रोता है और पुण्योदय में व्यक्ति सोता है। आचार्य ने विस्तृत विवेचना करते हुए कहा की पुण्य उदय आने पर वह सब कुछ भूल जाता है और पाप की ओर अग्रसर होने लगता है। मानव को यह स्मरण होना चाहिए कि पाप का उदय मुझे ही भोगना पड़ेगा तब निःसन्देह मान लेना की व्यक्ति पाप करना छोड़ देंगे। जीवन सिर्फ हमारी शर्तों पर नहीं जिया जा सकता, जीने के लिए सामने वाले की शर्तों को भी स्वीकार करना अनिवार्य होता है। चाहे कितनी ही लंबी जिंदगी प्राप्त की हो उम्र का अंत होता ही है यदि व्यक्ति जिंदगी का अंत होने से पहले जीवन के मूल्यों को समझ ले तो वह अमृत्व की यात्रा कर ले जीवन को हमें अभिशाप नहीं वरदान बनाना है और वरदान बनाने का एक ही सूत्र है कि हम पाप के उदय में दीनता ना लाएं और पुण्य के उदय में अहंकार से परिपूर्ण ना हो। सुख हो या दुख प्रत्येक परिस्थिति में सत्य, सदाचार, संयम तथा समिचीन सिद्धांतों पर अधिक रहे यही उन्नति का मार्ग है। तपोस्थली पर अचार्य संघ दो माह के प्रवास वह शीतकालीन वाचना के लिए विराजमान है।

- Advertisement -spot_img

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest article