गुंसी, निवाई। प. पू. भारत गौरव गणिनी आर्यिका विज्ञाश्री माताजी ससंघ श्री दिगम्बर जैन सहस्रकूट विज्ञातीर्थ गुन्सी जिला टोंक (राज.) में धर्म की महती प्रभावना कर रही है। माताजी के प्रभावपुंज सान्निध्य में कई व्रती श्राविकाओं के व्रत निर्विघ्न पल रहे हैं। माताजी के मुखारविंद से होने वाली अभिषेक , शांतिधारा करने के लिए दूर – दूर से भक्तगण सम्मिलित होते हैं। माताजी ने अपने मंगल उद्बोधन के माध्यम से प्रत्येक श्रावक को धर्म , देश , राष्ट्र व संस्कृति से जोड़ने का प्रयास करते हुए कहा कि – हमारी संस्कृति हमारी पहचान है। भारत की संस्कृति दुनिया में सबसे पुरानी और सबसे समृद्ध संस्कृतियों में से एक है। इसे हजारों वर्षों के इतिहास द्वारा आकार दिया गया है और विभिन्न सभ्यताओं और संस्कृतियों से प्रभावित किया गया है। हमारी संस्कृति गर्व का स्रोत है क्योंकि यह हमारे अतीत और विरासत का प्रतिबिंब है। आज हम जिन विविध सांस्कृतिक प्रथाओं और परंपराओं का पालन करते हैं, वे हमारे पूर्वजों के संघर्षों और विजय का प्रमाण हैं। किसी भी देश में संतों का जन्म नहीं हुआ मात्र भारत ही ऐसा देश है जहां महापुरुषों ने जन्म लिया। इसलिए हमें अपनी संस्कृति पर गर्व करना चाहिए न कि विदेशों की अर्थात पाश्चात्य संस्कृति को धारण करना चाहिए। आगामी 10 दिसम्बर 2023 को होने वाले पिच्छिका परिवर्तन एवं 108 फीट उत्तुंग कलशाकार सहस्रकूट जिनालय के भव्य शुभारम्भ में सम्मिलित होकर इस सुअवसर में साक्षी बनकर पुण्यार्जन करें।