रूप रजत विहार में चातुर्मासिक विदाई समारोह का आयोजन, श्रेष्ठ सेवाएं देने वालों का सम्मान
सुनील पाटनी/भीलवाड़ा। पांच माह के सफलतम चातुर्मास में विदाई की बेला की नजदीक आने पर श्रावक-श्राविकाओं के मन के जज्बात गीतों व विचारों के माध्यम से सामने आए। गुरूणी मैया से चातुर्मास समाप्ति के बाद भी आशीर्वाद बनाए रखने और जल्द फिर भीलवाड़ा की धरा को पावन करने की विनती की गई। चातुर्मास में गुरूणी मैया से जिनशासन की आराधना व ज्ञान की जो बाते सीखने को मिली उसके प्रति भी काव्य रचनाओं व विचारों के माध्यम से आभार जताते हुए संकल्प दर्शाया गया कि उन सीखी हुई बातों को जीवन में उतारने का पूरा प्रयास करेंगे। पूरा माहौल श्रद्धा व भावनाओं से ओतप्रोत था। ये नजारा भीलवाड़ा के चन्द्रशेखर आजादनगर स्थित रूप रजत विहार में रविवार को मरूधरा मणि महासाध्वी श्रीजैनमतिजी म.सा. की सुशिष्या वात्सल्यमूर्ति महासाध्वी इन्दुप्रभाजी म.सा. के सानिध्य में चौमासी पक्खी पर श्रीसंघ की ओर से आयोजित चातुर्मासिक विदाई समारोह में दिखा। समारोह में श्रावक-श्राविकाओं ने मन के भाव व्यक्त करते हुए इस बात पर खुशी जताई कि रूप रजत विहार में पहले ही चातुर्मास ने सफलता का नया इतिहास रच दिया ओर क्षेत्र में धर्म प्रभावना व जिनशासन की भक्ति की ऐसी अलख जगाई की उसका प्रभाव चातुर्मास समाप्ति के बाद भी बना रहेगा। समारोह में आगम मर्मज्ञा डॉ. चेतनाश्रीजी म.सा. ने कहा कि चन्द्रशेखर आजादनगर निवासियों सहित पूरे भीलवाड़ावासियों की गुरू भक्ति व जिनशासन सेवा की भावना की जितनी अनुमोदना की जाए कम है। चातुर्मास के पांच माह का समय धर्म प्रभावना में समर्पित रहा। हमने जिनशासन की आराधना के लिए जो भी भावना जताई उसे श्रीसंघ व बहनों ने पूरा करने में कोई कमी नहीं रखी। इस चातुर्मास में मैने माला के प्रभाव के बारे में प्रवचन के माध्यम से बात रखने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि श्रीसंघ ने इस चातुर्मास को यादगार व अविस्मरणीय बनाने में कोई कमी नहीं रखी। संघ का क्षेत्र भले छोटा लेकिन मन बहुत बड़ा होने से हर कार्य असीम सफलता प्राप्त करता गया। आदर्श सेवाभावी दीप्तिप्रभाजी म.सा. एवं तरूण तपस्वी हिरलप्रभाजी म.सा.ने भी गीतों व विचारों के माध्यम से मन की भावनाएं व्यक्त करते हुए भीलवाड़ावासियों की भक्ति भावना की खूब सराहना करते हुए मंगलभावनाएं व्यक्त की। धर्मसभा में आगम रोचक व्याख्यानी डॉ. दर्शनप्रभाजी म.सा.,तत्वचिंतिका डॉ. समीक्षाप्रभाजी म.सा., आदि ठाणा का सानिध्य भी रहा। श्री अरिहन्त विकास समिति के अध्यक्ष राजेन्द्र सुकलेचा ने चातुर्मास की एतिहसिक सफलता का श्रेय पूज्य महासाध्वी इन्दुप्रभाजी म.सा. आदि ठाणा की मंगलमय जिनवाणी को देते हुए कहा कि उनके आशीर्वाद से ही हम प्रथम चातुर्मास में ही धर्म प्रभावना का कीर्तिमान बना पाए। उन्होंने कहा कि हमारा संघ भले अपेक्षाकृत छोटा था लेकिन हमारा मन बहुत बड़ा था और श्रीसंघ के सभी सदस्यों ने सामूहिक प्रयास कर गुरूणीवर्या के पावन सानिध्य में इस चातुर्मास को धर्म साधना की दृष्टि से एतिहासिक बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। विदाई के इन पलों में भावनाएं बहुत उमड़ रही है लेकिन शब्द नहीं मिल पा रहे है। चातुर्मास के यह पांच माह का समय जिंदगी के अविस्मरणीय पल बन गए है। विदाई समारोह में नवरतन बाफना, प्रवीण गोखरू, अनिल छाजेड़, निशा हिंगड़, हंसा गोखरू, पुष्पा कावड़िया, प्रज्जवल खींचा, श्रेयांश लोढ़ा, सांची कोठारी, आर्यन जैन, वीर कोठारी आदि श्रावक-श्राविकाओं ने भी मन की भावना व्यक्त की। बहु मण्डल की सदस्यों ने विदाई गीत की प्रस्तुति दी। विदाई प्रसंग पर दो लघु नाटिकाओं की प्रस्तुति साक्षी एवं प्राची तथा खुशी-साक्षी ग्रुप के द्वारा दी गई। धर्मसभा का संचालन युवक मण्डल के मंत्री गौरव तातेड़ ने किया।
सुकलेचा दंपति को भामाशाह श्रावक-श्राविका रत्न सम्मान
समारोह में पूज्य महासाध्वी इन्दुप्रभाजी म.सा. आदि के सानिध्य में रूप रजत विहार में प्रथम चातुर्मास कराने ओर इसे सफल बनाने में अहम प्रेरणादायी भूमिका निभाने वाले श्री अरिहन्त विकास समिति के अध्यक्ष सुश्रावक राजेन्द्रजी सुकलेचा एवं उनकी धर्म सहायिका सुश्राविका सुनीताजी सुकलेचा को पूज्य साध्वी मण्डल की ओर से ‘‘भामाशाह श्रावक-श्राविका रत्न’ अलंकार से अलंकृति किया गया। साध्वी मण्डल की ओर से यह सम्मान चातुर्मास आयोजक श्री अरिहन्त विकास समिति के पदाधिकारियों एवं वरिष्ठ श्रावकों ने प्रदान किया।
चातुर्मास में श्रेष्ठ सेवाएं देने वालों का सम्मान
समारोह में श्री अरिहन्त विकास समिति की ओर से उन पदाधिकारियों व सुश्रावकों का सम्मान किया गया जिन्होंने इस चातुर्मास की व्यवस्थाएं संभालने ओर विभिन्न आयोजनों को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई। साध्वी मण्डल ने सम्मानित होने वाले श्रावकों के प्रति मंगलभावनाएं व्यक्त की। सम्मानित होने वालों में सुश्रावक नवरतन बापना, गौरव तातेड़, सुशील गोखरू व अनिल छाजेड़ शामिल थे।
वीर लोकाशाह जयंति आज मनाई जाएगी
चातुर्मास के अंतिम दिवस 27 नवम्बर सोमवार को पूज्य इन्दुप्रभाजी म.सा. आदि ठाणा के सानिध्य में वीर लोकाशाह जयंति मनाई जाएगी। इस दौरान चातुर्मास के अंतिम प्रवचन में श्रावक-श्राविकाएं भी अपनी भावनाएं व्यक्त कर सकेंगे। चातुर्मासकाल में प्रतिदिन दोपहर 2 से 3 बजे तक होने वाले नवकार महामंत्र जाप का समापन भी सोमवार दोपहर 3 बजे होगा। इसके बाद जाप का अभिमंत्रित कलश लाभार्थी नवरतनमलजी, अनमोलजी बाफना के निवास स्थान तक शोभायात्रा के रूप में पहुंचाया जाएगा। चातुर्मास समाप्ति पर पूज्य इन्दुप्रभाजी म.सा. आदि ठाणा 28 नवम्बर सोमवार सुबह शुभ मुर्हुत में विहार करेंगे।