संत हो या नहीं हो धर्मस्थान पर साधना और आराधना का क्रम नही रूकना और स्थान को ताला मत लगाना: महासाध्वी प्रितीसुधा
भीलवाड़ा। अंतरात्मा के दोषों को सुधारे बिना चातुर्मास सफल नहीं हो सकता है। सोमवार अहिंसा भवन शास्त्रीनगर में महा साध्वी डॉ. प्रितीसुधा ने चातुर्मास विदाई समारोह में सभी श्रध्दालूओं और श्रीसंघ से खत्मत खावणा करते हूए कहा कि धर्मस्थान पर संत हो या नहीं हो पर साधना और आराधना का क्रम रूकना एवं स्थान पर ताला नहीं लगना चाहिये जो धर्म लगन लगी है उसे बढ़ाने के साथ कषायों और मोह का त्याग करेगे और सभी को साथ लेकर आगें बढ़ोगे तो अपने जीवन और आत्मा का उत्थान संसार से कल्याण करवा पाओगे। साधु साध्वीयो का जीवन बहते पानी की तरह है जो एक स्थान ज्यादा समय तक नही ठहरते है क्योंकि वह अपना जीवन किसी सांसारिक मोह के बंधन मे नहींं बंधना चाहतें है वो हमे बंधनों से मुक्त होकर संसार के दुखों से निकालकर आत्मा का कल्याण का मार्ग दिखातें है। इस दौरान श्री अहिंसा भवन के मुख्य मार्गदर्शक अशोक पोखरना अध्यक्ष लक्ष्मण सिंह बाबेल हेमन्त आंचलिया, कूशलसिंह बूलिया,सुशील चपलोत, रिखबचंद पीपाड़ा, संदीप छाजेड़,ओमप्रकाश सिसोदिया अभयसिंह आंचलिया, जसवंत सिंह डागलिया लक्ष्मणसिंह पोखरना आदि पदाधिकारियों एवं चंदनबाला महिला मंडल की अध्यक्षा नीता बाबेल, मंजू पोखरना संजूलता बाबेल,उमा आंचलिया,रजनी सिंघवी,सुनीता झामड़,मंजू बापना,सरोज महता,विनीता बाबेल, आशा संचेती,अंजना सिसोदिया,वंदना लोढ़ा रश्मि लोढ़ा तथा लाड़जी मेहता,सुशीला छाजेड़ लता कोठारी आदि सभी ने साध्वी उमरावकंवर महासाध्वी प्रितीसुधा,साध्वी मधुसुधा साध्वी संयमसुधा से चातुर्मास काल मे जाने अंजाने मे हुई भूला की क्षमायाचना करतें हुए साध्वी उमरावकंवर को समता विभूति डॉक्टर प्रितीसुधा मरुधरा गौरव तथा अन्य साध्वीयो को स्वाध्याय प्रेमी, दिव्य तपोधनी आदि से अलंकृत करतेहुए आदर की चादर ओढ़ाकर विभूषित किया गया। प्रवक्ता निलिष्का जैन ने बताया इसदौरान शांति भवन के अध्यक्ष महेन्द्र छाजेड़ मंत्री राजेन्द्र सुराणा आजाद नगर श्रीसंघ के प्रवीण कोठारी, बापूनगर श्रीसंघ के मंत्री अनिल विस्लोत प्रकाश बाबेल आदि अपने विचार व्यक्त किए चातुर्मास के बाद पधारने की साध्वी मंडल से विनती रखी। 28 रविवार प्रातं 9 बजे अंहिसा भवन से भव्य जूलूस के साथ साध्वी मंडल का शांति भवन भोपाल गंज पधारेंगे।
प्रवक्ता: निलिष्का जैन