विजय गर्ग
सेवानिवृत्त प्रिंसिपल, शैक्षिक स्तंभकार, मलोट
स्कूली बच्चों में शोध और नवाचार के प्रति रुझान बढ़ाने सहित इसके फायदे को गांव- गांव तक पहुंचाने के लिए शिक्षा मंत्रालय ने एक राष्ट्रव्यापी अभियान की शुरुआत की है। इसके तहत देशभर के प्रत्येक ब्लाक में एक राष्ट्रीय आविष्कार सप्ताह का आयोजन किया जाएगा। जो नवंबर के अंतिम हफ्ते से जनवरी 2024 के पहले हफ्ते के बीच कभी भी आयोजित किया जा सकेगा। इस आविष्कार सप्ताह का विषय खाद्य पदार्थों में मिलावट की पहचान करना है, जो आम जनजीवन से जुड़ा है, जिसे स्कूली छात्र शिक्षक की मदद से आसानी से कर सकेंगे। शिक्षा मंत्रालय ने इसे लेकर एक गाइडलाइन भी जारी की। जिसमें प्रत्येक ब्लाक से करीब चार से पांच स्कूलों को इसके लिए चयनित किया जाएगा। इसमें पीएम- श्री स्कूल अनिवार्य रूप से शामिल होंगे। इन स्कूलों में आविष्कार सप्ताह के दौरान विज्ञान, शोध और नवाचार में रुचि रखने के लिए पूरे ब्लाक के स्कूलों के बच्चे हिस्सा लेंगे। जहां वह पहले से तय विषय को वैज्ञानिक कसौटी पर परखेंगे। मंत्रालय ने राज्यों को इस संबंध में लिखे पत्र में कहा है कि वह तय अवधि के दौरान अपनी सुविधा के मुताबिक किसी भी सप्ताह इसका आयोजन कर सकेंगे। इस बीच, आविष्कार सप्ताह के आयोजन के लिए चयनित होने वाले प्रत्येक स्कूलों को तीन से चार हजार रुपये की वित्तीय सहायता भी दी जाएगी। इनमें ग्रामीण क्षेत्रों से ज्यादा से ज्यादा बच्चों को शामिल किया जाएगा।
मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक, इस आयोजन का लाभ जहां एक और स्कूली बच्चों को मिलेगा। उनका विज्ञान और शोध के प्रति रुझान बढ़ेगा। वहीं इन शोधों और परीक्षण का विषय आम लोगों होने के चलते इसका लाभ गांव से जुड़ा गांव तक पहुंचेगा। वैसे भी शहरी क्षेत्रों में खाद्य पदार्थों में मिलावट पर अंकुश लगने के बाद से इन कारोबार में लगे लोग ग्रामीण क्षेत्रों की ओर से शिफ्ट हो गए हैं। जो लोगों में मिलावटी के खिलाफ जागरूकता में कमी का लाभ उठाकर लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहे है। ऐसे में जब स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को इसके लिए जागरूक कर दिया जाएगा, तो वह लोगों को इसके प्रति सतर्क कर सकेंगे।