जयपुर। बड़े दादा के नाम से विख्यात जैनदर्शन के सुप्रसिद्ध विद्वान अध्यात्मरत्नाकर पण्डित रतनचंदजी भारिल्ल के 91 वें जन्मदिवस के अवसर पर उनके उपकारों के स्मरण स्वरूप ‘सहजता दिवस’ का अन्तर्राष्ट्रीय कार्यक्रम उत्साह पूर्वक मनाया गया। यह समारोह दिनांक 21 नवम्बर, 2023 को ज्ञानतीर्थ श्री टोडरमल स्मारक भवन के पावन प्रांगण में दो सत्रों में सम्पन्न हुआ। प्रातः कालीन प्रथम सत्र टोडरमल महाविद्यालय के प्राचार्य डा.शांतिकुमार पाटिल की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। इस सत्र में अथाई समन्वय समूह के वरिष्ठ साहित्यकारों द्वारा पं.रतनचंद जी भारिल्ल की महत्वपूर्ण कृतियों की समीक्षा की गई। समीक्षा करने वालों में श्रीमती प्रभा जैन-इन्दौर, डा. भगवान सहाय मीना, रीतेश शर्मा प्रमुख थे। द्वितीय सत्र की अध्यक्षता सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार संपत ‘सरल’, जयपुर ने की। मुख्य अतिथि के रूप में दिल्ली दूरदर्शन के पूर्व अपर महानिदेशक कृष्ण कल्पित की गरिमामय उपस्थिति रही। इसके अतिरिक्त ट्रस्ट के अध्यक्ष सुशीलकुमार गोदीका, ट्रस्टी डॉ. शुद्धात्मप्रकाश भारिल्ल, प्राचार्य डॉ. शांतिकुमार पाटील , वरिष्ठ पत्रकार डा.अखिल बंसल, पण्डित पीयूष शास्त्री, पूर्व जनसंपर्क अधिकारी कन्हैयालाल भ्रमर आदि अनेक महानुभाव उपस्थित थे। ट्रस्ट के महामंत्री परमात्मप्रकाश भारिल्ल ने अपने वक्तव्य के माध्यम से बड़े दादा का विशेष परिचय प्रदान किया।
समारोह में मुख्यरूप से पण्डित रतनचंद भारिल्ल चैरिटेबल ट्रस्ट, जयपुर के तत्त्वावधान में समाज के उदीयमान पांच व्यक्तित्वों को विभिन्न संस्थाओं द्वारा पण्डित रतनचंद भारिल्ल पुरस्कार – 2023 से सम्मानित किया गया एवं पुरस्कार स्वरूप शाल, श्रीफल व प्रशस्ति पत्र के साथ नगद राशि भी प्रदान की गई। पुरस्कृत पत्रकार महावीर टाइम्स (मा.) एवं दैनिक बिजनेस दर्पण इन्दौर के संपादक हेमन्त जैन व साहित्य सृजन हेतु पण्डित सचिन्द्र शास्त्री, मंगलायतन- अलीगढ को; अ.भा.जैन पत्र संपादक संघ द्वारा तथा जिनशासन के प्रचार-प्रसार में महत्त्वपूर्ण योगदान हेतु पण्डित आशीष शास्त्री, टीकमगढ़ को सर्वोदय अहिंसा द्वारा पुरस्कृत किया गया। टोडरमल दिगंबर जैन सिद्धांत महाविद्यालय द्वारा अध्ययनकाल के दौरान पाठ्य व पाठ्योत्तर गतिविधियों में सक्रियता से भाग लेने हेतु पण्डित मानस शास्त्री, बांसवाड़ा एवं पण्डित मयंक शास्त्री, फुटेरा को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर अध्यात्मवेत्ता डॉ. संजीवकुमार गोधा, जयपुर का वीतरागी जिनशासन की प्रभावना में किए गए अकथनीय योगदानों का स्मरण करने हुए मरणोपरान्त सम्मानित किया गया। इस प्रसंग पर देश के विभिन्न स्थानों से पधारे साहित्यकारों, पत्रकारों व महाविद्यालय के पूर्व छात्र पण्डित अनेकान्त भारिल्ल शास्त्री व पण्डित संयम शास्त्री ने अपने विचार व्यक्त किए। विद्यार्थियों की ओर से मानस जैन, बाँसवाड़ा; आर्जव माद्रप; आयुष जैन, दिल्ली; स्वयं जैन, खनियांधाना ने वक्तव्य व काव्य पाठ प्रस्तुत किया। एक निबंध प्रतियोगिता आयोजित हुई, जिसका विषय दादा के व्यक्तित्व व कृतित्व पर आधारित ‘सुखी जीवन का रहस्य : सहजता’ था, जिसमें भी अनेकों साधर्मियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। डा.अखिल बंसल ने अथाई समन्वय समूह के साहित्यकारों द्वारा की गई साहित्य समीक्षा का विवरण प्रस्तुत करते हुए पण्डित रतनचंद जी भारिल्ल के साहित्यिक अवदान का उल्लेख किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि कृष्ण कल्पित ने कहा कि – सहजता शब्द जितना सहज लगता है उतना सरल नहीं है, जिस सहजता, सरलता को हम नगण्य समझते हैं, उन्हें हासिल करना कोई आसान काम नहीं है यह अपने आप में बेहद अनोखी होती हैं, लाजवाब होती हैं।
हमारा जीवन ही नहीं संपूर्ण प्रकृति भी सहजता के साथ ही संचालित होती है। प्रकृति भी जब असहज होती है तब तूफान आते हैं आपदाएं आती हैं। उन्होंने कहा मैं इस प्रांगण के बाहर से कई बार निकला हूं आज यहां आकर मेरा हृदय अत्यंत प्रसन्न हो रहा है, यहां जो ज्ञान का केंद्र संचालित हो रहा है वह वास्तव में सराहनीय है। समारोह की अध्यक्षता कर रहे प्रसिद्ध व्यंग्यकार संपत सरल ने कहा कि मैं यहां आकर अत्यंत सहज हो गया। आज मैं असहज नहीं हूं, उसके दो कारण हैं क्योंकि यह सभा दिए गए समय के अनुसार चल रही है और यहां बोलने वाले वक्ताओं की भाषा बहुत प्रांजल है। जब मुझे अच्छी भाषा बोलते नहीं मिलती कोई कर्कश बोलता है तब मैं असहज होता हूं। और यह जो समय है वह हर क्षण असहज करने वाला है। आत्मप्रचार आत्ममुक्त और जब से मोबाइल आया है, कैमरा आया है तब से तो यह दुनियां पागल है। आज सहज होने का सबसे बढ़िया तरीका है मन वचन कर्म से एक रहो। सहज होने का सबसे बढ़िया तरीका है असहज होने से बचो। यह सहजता मात्र ज्ञान से ही आ सकती है तथा प्रत्येक समय ज्ञान के अर्जन में ही व्यतीत करना चाहिए। जिसके पास ज्ञान है वह आपका आदर्श होना चाहिए महापुरुष आपके आदर्श होना चाहिए। पहले जहाँ महापुरुष हुआ करते थे आज वहाँ सेलिब्रिटी होने लगे हैं। समस्त कार्यक्रम डॉ. शुद्धात्मप्रकाश भारिल्ल व पण्डित परमात्मप्रकाश भारिल्ल के निर्देशन में सम्पन्न हुए। प्रथम सत्र का संचालन पण्डित अखिल शास्त्री व द्वितीय सत्र का संचालन पण्डित जिनकुमार शास्त्री ने किया।