प्रकाश पाटनी/भीलवाड़ा। बापूनगर स्थित पदम प्रभु दिगंबर जैन मंदिर में श्रुत संवेगी मुनिश्री आदित्य सागर महाराज ससंघ के सानिध्य में मंदिर का द्वितीय स्थापना दिवस एवं कलशाभिषेक समारोह भव्यता के साथ संपन्न हुआ। मुनिश्री आदित्य सागर महाराज ने धर्म देशना में कहा कि हर जीव सुख की खोज कर रहा है। जीव पुरुषार्थ तो कर रहा है, लेकिन दिशा गलत की ओर है। सुख कैसे मिलेगा। अपने द्वारा परिवर्तन कर सुधार करना है। मुनिश्री ने कहा कि अपने स्वभाव को बदलो, भीतर की कमियों दोषो को खोज कर परिवर्तन करें। मुनि श्री ने कहा कि स्वयं का निर्माण से देश का निर्माण होगा। अनुशासन प्रिय होना चाहिए। बच्चों को संस्कारवान करना जरूरी है। स्वभाव को बदले, यह गंभीर विषय है। स्वयं को बदलो इसी में सुख है।
समाज के प्रबुद्धजनों ने दीप प्रजनन किया। पदम प्रभु महिला मंडल ने मंगलाचरण किया। बालिकाओं ने भक्ति नृत्य की प्रस्तुति दी। इस दौरान पांच उपवास करने वाले कमलेश सेठी, सुनीता गोधा ,सुश्री आशिता अग्रवाल, एवं प्रकाश पाटनी, ताराचंद झंझरी, ताराचंद अग्रवाल, ओम प्रकाश अग्रवाल, समाज के सबसे वरिष्ठ रूपचंद जैन दंपति, शिक्षा में डॉक्टर जीनियस जैन, प्रफुल्ल जैन, कुशाग्र जैन, प्रखर जैन, दिव्यांशीय जैन, श्री मनीषी गोधा, भूमिका जैन, प्रतिभाओं व उत्कृष्ट सेवाप्रदाता को पगड़ी बनाकर, शाल उड़ाकर, मोमेंट देकर सम्मानित किया।
मुनिससघका पाद पक्षालन एवं महिलाओं द्वारा शास्त्र भेंट किया और के अध्यक्ष लक्ष्मीकांत जैन ने प्रतिवेदन प्रस्तुत कर सामाजिक कार्यों व संत का ठहरने के लिए 24 कमरों व एक हाल का निर्माण करने की योजना प्रस्तुत की। जिसमें लिफ्ट का प्रावधान भी होगा। इस उपरांत श्रीजी पर श्रावकों द्वारा अभिषेक एवं मुनि अप्रमित सागर महाराज के मुखारविंद से शांति धारा की। सभी जने गांधोदक लेकर धन्य हुए। इस अवसर पर बड़ी संख्या में समाजजन मौजूद था।