गुंसी, निवाई। श्री दिगम्बर जैन सहस्रकूट विज्ञातीर्थ गुन्सी जिला – टोंक (राज.) में गणिनी आर्यिकारत्न 105 विज्ञाश्री माताजी के पावन ससंघ सान्निध्य में अष्ठाह्निका पर्व में पूज्य माताजी के मुखारविंद से अभिषेक शांतिधारा करने का अवसर भक्तों को नित प्रति प्राप्त हो रहा है। आज की शांतिधारा का अवसर पांडिचेरी से गुरुमां के दर्शनाथ पधारे हुए मदनलाल सोनी ने प्राप्त किया। पूज्य माताजी ने सभी को भक्ति की महत्वता बताते हुए कहा कि – भक्ति श्रद्धा, विश्वास एवं प्रेमपूरित भक्त हृदय का वह मधुर मनोराग है जिसके द्वारा भक्त और भगवान के पारस्परिक सम्बन्ध का निर्धारण होता है। आज के युग में यानी कलियुग में भक्ति करने वाला प्रभु को जल्दी पा लेता है। अन्य युगों में प्रभु को पाना कठिन था पर कलियुग में प्रभु को पाना सबसे सुलभ है । ऐसा इसलिए कि इस युग में गृहस्थ के जंजाल, व्यापार की परेशानियाँ, सामाजिक दुनियादारी, बीमारियों के आक्रमण के बीच प्रभु के लिए समय निकाल पाना कठिन होता है इसलिए प्रभु ने अपने को पाने का मार्ग इस युग में सुलभ बना दिया है। इसलिए जो इस वर्तमान युग में सच्ची भक्ति करके प्रभु के लिए समय निकाल लेता है वह बड़े वेग से प्रभु तक पहुँचता है। अन्य युगों में प्रभु प्राप्ति के मार्ग में बाधाएँ कम होती है इसलिए प्रभु प्राप्ति के साधन कठिन होते हैं। कलियुग में प्रभु प्राप्ति के मार्ग में बाधाएँ बहुत हैं इसलिए प्रभु प्राप्ति का साधन बहुत सुलभ है।