जयपुर। परम पूज्य उपाध्याय 108 ऊर्जयन्त सागर जी महाराज का पिच्छी का परिवर्तन समारोह रविवार 19 नवंबर 2023 को श्री संकट हरण पारसनाथ दिगंबर जैन मंदिर फागीवाला आमेर में आयोजित हुआ। वात्सल्य रत्नाकर परम पूज्य आचार्य श्री 108 विमल सागर जी महाराज साहब के अंतिम दीक्षित शिष्य उपाध्यय श्री 108 ऊर्जयन्त सागर जी महाराज एवं श्रुल्लक श्री 105 उपहार सागर जी महाराज का आज पिच्छिका परिवर्तन कार्यक्रम संपन्न हुआ । कार्यक्रम के प्रारंभ में मंदिर के शिखर पर ध्वज स्थापना की गई। फागीवाला परिवार ने इसका सौभाग्य प्राप्त किया ।द्वितीय सत्र में अनेक पधारे हुए विद्वानों का गुरुदेव के अन्यय भक्तों का स्वागत सम्मान करते हुए मुख्य संयोजक रूपेंद्र छाबड़ा ने पूज्य उपाध्याय श्री के चातुर्मास की उपलब्धियां को समाज के समक्ष रखा। उन्होंने इस वर्ष उपाध्याय श्री के चातुर्मास की यह विशेषता रही कि उनके संयम जीवन में प्रथम जनेश्वरी दीक्षा क्षुल्लक श्री उपहार सागर जी महाराज को देने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। कार्यक्रम में सभी पूर्व आचार्य को अर्घ्य चढ़ाकर उनकी पूजा अर्चना की गई। तथा अतिथियों का सम्मान किया गया। वर्षा योग में जिन महानुभावों का सहयोग रहा उन सभी कार्यकर्ताओं का प्रशस्ति देकर सम्मान किया गया। पूज्य गुरुदेव ने अपने मंगल उद्बोधन में यह बताया की साधु की संगत नहीं कर सकते हो कोई बात नहीं साधु की वैय्यावर्ती नहीं कर सकते हो कोई बात नहीं लेकिन अपने जीवन में कभी भी साधु परमेश्वटी की निंदा नहीं करना। ऐसा गुरुदेव ने अपने मंगल प्रवचन में बताया और नवीन पिच्छिका लेने का महत्व भी गुरुदेव ने समझाया। गुरुदेव का आमेर के फागीवाला मंदिर से 27 नवंबर दोपहर 2:00 बजे मंगल विहार कर अचरोल स्थित देश भूषण आश्रम में स्थित इच्छा धारी भगवान पारसनाथ का जिन मंदिर है वहां गुरुदेव उस मंदिर के वार्षिकोत्सव 3 दिसंबर को कार्यक्रम में अपना सानिध्य प्रदान करेंगे। इस अवसर पर अतिशय क्षेत्र श्री महावीर जी तीर्थ क्षेत्र कमेटी के अध्यक्ष एवं चातुर्मास व्यवस्था समिति के गौरवाध्यक्ष सुधांशु कासलीवाल का स्वागत अभिनंदन किया गया। मुख्य समन्वयक मनीष बैद ने भी अपने विचार रखे। चातुर्मास व्यवस्था समिति के महामंत्री दौलत फागीवाला ने सभी का आभार व्यक्त किया।