गुंसी। श्री दिगम्बर जैन सहस्रकूट विज्ञातीर्थ गुन्सी (राज.) की पावन धरा पर विराजित गणिनी आर्यिका गुरु मां विज्ञाश्री माताजी ससंघ के सान्निध्य में अभिषेक, शांतिधारा करने के लिए प्रतिदिन दूर – दूर से यात्रीगण पधार रहे हैं। आज की शांतिधारा करने का सौभाग्य अवसर दिनेश गंगवाल सवाईमाधोपुर, महेश मोटुका व शैलेन्द्र निवाई वालों ने प्राप्त किया। शांतिनाथ प्रभु की बड़े – भक्तिभावों से पूजन की गई। संगीतमय भजनों के माध्यम से सभी भक्ति का आनंद ले रहे थे। पूज्य माताजी के उपवास के बाद पारणा कराने का अवसर मालवीय नगर जयपुर समाज व निवाई समाज ने प्राप्त किया। पूज्य माताजी ने सभी को मंगल देशना का रसपान कराते हुए कहा कि वर्तमान समय में सभी की मिथ्यात्व की बुद्धि बन गई हैं। आज के समय में इंसान स्वयं धर्म कार्य नहीं करता और जो दूसरे करते हैं उन्हें भी नहीं करने देता। मिथ्या भ्रांति फैलाकर धर्म कार्य में विघ्न डालता है। ऐसे लोगों से दूर रहना चाहिए जो देव शास्त्र गुरू की सेवा में रोक लगाये। देव शास्त्र गुरू की निंदा करने, सेवा में विघ्न डालने से निधत्ति निःकांक्षित जैसे कर्म बंधते हैं। अतः मेरा आप सभी से इतना ही कहना है देव – शास्त्र – गुरू के प्रति सेवा, दान आदि के भाव बनाये रखें क्योंकि इसके अच्छे और बुरे फलों को हमें ही भोगना है किसी अन्य को नहीं। आगामी 10 दिसम्बर 2023 को माताजी ससंघ के पिच्छिका परिवर्तन एवं 108 फूट उत्तुंग कलशाकार सहस्रकूट जिनालय के भूमि शुद्धि का कार्यक्रम रहेगा।