सुनिल चपलोत/चैन्नई। भगवान की भक्ति में हो या पारवारिक रिश्तों में समर्पण और प्रेम नहीं, स्वार्थ की भावना छिपी हुई है,तो भक्ति करना और रिश्ते निभाना व्यर्थ है। बुधवार जैन भवन के मरूधर केसरी दरबार में महासती धर्मप्रभा ने भाई बहन के पवित्र त्यौहार भाई दुज पर श्रध्दालूओं को शुभ आर्शीवाद और बधाई देतें हुए कहा कि भाई दूज को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है इस दिन यम देवता की पूजा भी की जाती है।भाई दूज के दिन बहनें अपने भाई को तिलक लगाकर और उपहार देकर उसकी लंबी आयु की कामना करती है और भाई बहन की रक्षा का वचन देता है।परन्तु आज रिश्तों मे स्वार्थ और दिखावट प्रदर्शन के कारण इस त्योहार में एक दूसरें में दूरियां बढ़ती जा रहीं है। पर्व मनाना तभी सार्थक होगा जब बहन और भाई निस्वार्थ भाव से भाई दुज पर्व के महत्व को समझकर इस पर्व को मनाएंगे तो ये पर्व मनाना परिवार और एक दुसरे केलिए सार्थक बन सकता है। साध्वी स्नेहप्रभा ने कहां कि जब मनुष्य मे अंहकार आ जाता है तो स्वयं को सर्वशक्तिमान और दुसरो को तुच्छ समझने लग जाता है। और आगे निकलने के चक्कर मे वह स्वयं का पतन कर लेता है। अंहकार और घमंड को त्यागने वाला व्यक्ति ही संसार में महान बनता है। साहुकारपेट श्रीसंघ कार्याध्यक्ष महावीर चन्द सिसोदिया ने जानकारी देतें हुए बताया कि श्री एस. एस.जैन संघ पुरषवाक्कम के अध्यक्ष विनयचंद पावेचा, महिपाल चौरडिया, धर्मीचंद कोठारी,गौतमचंद गुगलिया आदि ने 19 नवम्बर रविवार को कर्नाटक गजकेसरी गणेशलाल जी महाराज की 144 वीं जन्म जयंती समारोह में महासती धर्मप्रभा, साध्वी स्नेहप्रभा एवं श्री संघ साहुकार पेट को पधारने की पुरजोर शब्दों में विनती रखी और साध्वीवृंद ने श्री एस.एस. जैन संघ पुरषवाक्कम की विनती को स्वीकृति प्रदान करतें हुए जन्म जयंती कार्यक्रम में 19 नवम्बर को पधारने का स्वीकार किया।