दुनियाँ भर के काम काज से फुर्सत होकर महिलाएं अकेले में अपने लिए कुछ समय चुराना चाहती है अपने मन की लिखना चाहती हैं। अपने मानसिक तनाव को वह लिखकर हल्का करना चाहती हैं। लेकिन इंटरनेट में हो रहे दुर्व्यवहार के कारण भी महिलाएं इंटरनेट से दूरी बनाने लगी है। इसकी मूल वजह या तो घर के पारिवारिक मामले हैं जहां पर लड़कियों को और महिलाओं को एक के दायरे में रहने के लिए मजबूर किया जाता है। यह रवैया न केवल लड़कियों की प्रगति को प्रभावित कर रहा है बल्कि उनका आत्मविश्वास को भी प्रभावित कर रहा है। और अपने सामाजिक, शैक्षिक और बौद्धिक हितों को आगे बढ़ाने के लिए महिलाओं का मन अब दायरे में सीमित हो रहा है। और यदि लड़कियां इंटरनेट का प्रयोग करती है तो सगे संबंधियों द्वारा उनके परिवार मे चुगली कर दी जाती है।
अगर किसी व्यक्ति या महिला की काबिलियत पर लगातार उंगली उठाई जाए तो वह अपनी याददाश्त, महसूस करने की क्षमता और काम को परफेक्शन के साथ कर पाने की सलाहियत पर भरोसा खो बैठती है। जब महिला मानसिक उत्पीड़न और ऐसा दुर्व्यवहार अपने नजदीकी रिश्तों या वर्कप्लेस पर झेलती है, जहां लोग उसे जानबूझ कर सताते हैं या उसके दिमाग पर सेंध लगा कर उसके सोचने समझने काबिलियत को खत्म करते हैं तो ऐसा दुर्व्यवहार गैसलाइटिंग कहलाता है। इसमें व्यक्ति या स्त्री को मजबूर कर दिया जाता है कि वह दूसरे के हाथों की कठपुतली बनी, अपने आपको किसी काम का नहीं समझती। गैसलाइटिंग से पीड़ित महिला मानसिक तनाव में रहते हुए हमेशा परेशान रहती है।
इंटरनेट से दूरी बनाए रखने का एक कारण सोशल मीडिया पर हो रहे व्यवहार भी है। ऑनलाइन उत्पीड़न के कारण लड़कियों को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे फेसबुक और इंस्टाग्राम छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ता है। चूंकि लड़कियों का इंटरनेट से जुड़ना पूर्वाग्रहों और दुर्व्यवहार के डर से प्रतिबंधित है, इसलिए वे खुद को टेकसैवी के रूप में नहीं देखती हैं और इंटरनेट को वे ऐसा नहीं मानती कि वह उनके लिए है। लैंगिक असमानता के चलते जहां कम से कम 61 प्रतिशत पुरुषों के पास मोबाइल फोन है, वहीं महिलाओं में यह संख्या 31 प्रतिशत पर ही रुक जाती है। यानी पूरे 30 प्रतिशत का अंतर है पर अंतर दलित महिलाओं के मुकाबले सवर्ण लोगों के पास स्मार्टफोन होने की संभावना औसतन 7 प्रतिशत ज्यादा है।
जहां ग्रामीण भारत की महिलायें इंटरनेट का इस्तेमाल करने के लिए संकुचित है, वहीं शहरों में इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाली महिलाओं की संख्या मे बढ़ोत्तरी तो है मगर असमानता की स्थिति शहरों में भी व्याप्त है। फर्क दोगुना से भी ज्यादा का है।
पूजा गुप्ता
मिर्जापुर( उत्तर प्रदेश)