मनोज नायक/मुरेना। पिछले कुछ वर्षों से दीपावली अर्थात कार्तिक कृष्ण अमावश्या तिथि का चौदस के दिन दोपहर बाद प्रारम्भ होना और अमावश्या वाले दिन प्रदोष बेला में तिथि न होकर दोपहर तक समाप्त होने से जन मानस में भ्रम की स्थिति बनती है। वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य डॉ. हुकुमचंद जैन ने कहा कि कुछ वर्षों से प्रदोष काल चतुर्दशी तिथि में आने से संशय बनता है। जिससे छोटी दीपावली वाले दिन ही बड़ी दीपावली, महालक्ष्मी पूजन किया जाता है। यानी छोटी और बड़ी दीपावली एक ही दिन रूप चतुर्दशी को हो रही है।
ज्योतिषाचार्य जैन के अनुसार दीपावली पूजन मुहूर्त अमावश्या तिथि प्रारम्भ 12 नवम्बर रविवार दोपहर 14:44 बजे से प्रारम्भ होगी, जो 13 नवम्बर सोमवार दोपहर 14:56 बजे तक अमावश्या तिथि समाप्त होजाएगी । 13 नवम्बर को शाम प्रदोष काल के समय अमावस्या नहीं रहेगी।
पूजन मुहूर्त 12 नवम्बर रविवार फेक्ट्री, व्यापार, दुकान स्थलों के लिए दीपावली, महालक्ष्मी पूजन मुहूर्त-कलम, दवात, सामग्री, यंत्र रचना करने के लिए 12 नवम्बर रविवार लाभ एवं अमृत की चौघड़िया प्रातः लाभ 09:24 बजे से 10:44 बजे तक, अमृत 10:44 बजे से 12:05 बजे तक, अभिजीत मुहूर्त 01:26 बजे से 02:46 बजे तक ।
दीपावली महालक्ष्मी पूजन मुहूर्त :- प्रदोष काल, और शुभ की चौघड़िया शाम को 05:29 बजे से 07:07 बजे तक, प्रदोष काल और अमृत की चौघड़िया शाम 07:07 बजे से 08:45 बजे तक सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त : शाम 05:29 बजे से 08:45 बजे तक प्रदोष काल स्थिर वृष लग्न एवम शुभ और अमृत की चौघड़िया में सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त है।
महालक्ष्मी मंत्र जाप,साधना पूजन लिए – निशित काल रात्रि 11:35 से 12:28 बजे तक ।
निशित काल एवम सिंह स्थिर लग्न में रात्रि 12:09 से 02:40 बजे तक श्रेष्ठ मुहूर्त है।
जैन मुहूर्त :
भगवान महावीर निर्वाण,गौतम गणधर /सरस्वती पूजन
जो शुद्ध जैन आमना से पूजन करना चाहते हैं वो 13 नवम्बर सोमवार को महावीर निर्वाण लाडू के बाद से अमावश्या तिथि रहते तक दोपहर 14: 56 बजे तक अपने अपने फेक्ट्री, व्यापार, दुकान, निवास आदि स्थलों पर पूजन करें।
13 नवम्बर सोमवार के मुहूर्त : महावीर निर्वाण लाडू मुहूर्त प्रातः अमृत की चौघड़िया और स्थिर बृश्चिक लग्न में प्रातः 06:43 बजे से 09:30 बजे तक। इस उपरांत ही गौतम स्वामी/सरस्वती पूजन करें । दूसरा मुहूर्त दोपहर स्थिर कुंभ लग्न में 13:26 बजे से 14:56 बजे तक अमावश्या तिथि के रहते तक श्री गौतम स्वामीजी /सरस्वती पूजन करना श्रेष्ठ एवं शुभ है।