Sunday, November 24, 2024

अपने मन को पढ़ते रहना ही आत्म कथा पढ़ना है:अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी

औरंगाबाद, उदगाव। भारत गौरव साधना महोदधि सिंहनिष्कड़ित व्रत कर्ता अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महाराज एवं सौम्यमूर्ति उपाध्याय 108 श्री पीयूष सागर जी महाराज ससंघ का महाराष्ट्र के ऊदगाव मे 2023 का ऐतिहासिक चौमासा चल रहा है इस दौरान भक्त को प्रवचन कहाँ की हमसे बहुत बडी भूल हो रही है। शायद यही भूल तुम्हें भटका रही है। अभी तक हमने वेद, पुराण, उपनिषद और अनेक ग्रन्थों को पढ़ा तब भी जीवन में परिवर्तन नही आया। एक बार स्वयं को पढ़ने की जरूरत है। सिर्फ एक बार, स्वयं की आत्मकथा पढ़ो।अभी तुमने गांधी जी, विवेकानंद जी, नेहरू जी, टालस्टाॅय और वर्णी जी की आत्मकथा पढ़ी होगी। लेकिन मैं कहता हूँ अब एकान्त में बैठकर, अपनी आत्मकथा को पढ़ डालो। फिर देखो जीवन कैसे महकता है। आत्मकथा पढ़ने से मेरा तात्पर्य अपने मन को पढ़ने से है। मन में उठने बाले विचारों को पढ़ने से है। मन के सागर में आने वाली लहरों को देखने से है। अपने मन पर निगरानी रखिये कि कहीं वह प्रभु-पथ से भटक ना जाये। कहीं वह क्षुद्र स्वार्थों की खातिर धर्म, न्याय और नीति को छोड ना बैठे। क्योंकि यह मन बहुत बेईमान है। पद, पैसा और प्रतिष्ठा के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाता है। कहीं ये मन, पाप और अधर्म के तत्पर ना हो जाये। अपने मन को पढ़ते रहना ही आत्म कथा पढ़ना है। ध्यान रखना। कपडा बिगड़े – चिन्ता नहीं करना। भोजन का स्वाद बिगड़े – चिन्ता नहीं करना। व्यापार बिगड़ जाये – चिन्ता नहीं करना। बेटा बिगड़ जाये तब भी चिन्ता नहीं करना। सिर्फ चिन्ता इतनी सी करना। कहीं मन और दिल ना बिगड़ जाये। क्योंकि इस दिल में ही तुम्हारा दिलबर रहता है। अपना प्यारा सा मन और खुबसूरत दिल, सिर्फ सन्त और अरिहन्त को ही देना। फिर कभी दिल का दौरा भी नहीं पड़ेग।

नरेंद्र अजमेरा पियुष कासलीवाल औरंगाबाद

- Advertisement -spot_img

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest article