मुरेना (मनोज नायक)
हर सुहागिन को करवा चौथ का बेसब्री से इंतजार रहता है। महिलाएं महीने दो महीने पहले से ही सुहाग का सामान इकट्ठा करने में जुटी रहती हैं।
वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन ने बताया कि करवा चौथ का व्रत हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को पड़ता है। इस बार यह तिथि 31 अक्टूबर मंगलवार को रात्रि 09:21 बजे से प्रारंभ होकर 01 नवम्बर बुधवार को दिन भर रहते हुए रात्रि 09:19 बजे तक रहेगी।
बीइस बार बुधवार को मृगशिरा नक्षत्र का योग से सर्वार्थ सिद्धि योग पूरे समय तक रहेगा।
जो हर सुहागिन के व्रत का पूर्ण फल कराएगा।
सुहागिन महिलाएं इस व्रत को अपने पति की लंबी आयु के लिए पूरे दिन निर्जला रखती है। रात के समय चंद्रमा को देखकर उसकी पूजा कर अर्ध देकर ही व्रत का पारण करती है। करवा चौथ के दिन शादीशुदा महिलाएं 16 श्रृंगार कर सजती संवरती हैं और रात में चंद्रमा के निकलने के बाद चंद्र दर्शन कर उसकी पूजा कर चंद्रमा को जल देकर और अपने पति का मुख छलनी से देखकर अपना व्रत खोलती है।
करवा चौथ क्यों और कैसे मनाती हैं सुहागिन?
करवा चौथ के दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले जागकर व्रत की शुरुआत करती हैं। उसके बाद महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं। शाम को स्त्रियां दुल्हन की तरह मेंहदी ,महाबर लगाकर 16 श्रृंगार आदि कर तैयार होती हैं और पूजा करती है उसके बाद शाम रात्रि में चंद्र उदय होने पर छलनी से चंद्र दर्शन कर पति को सामने खड़े कर उसकी आरती उतारकर अपना व्रत खोलती हैं। मान्यता है कि माता पार्वती ने शिव के लिए, द्रौपदी ने पांडवों के लिए करवा चौथ का व्रत किया था। करवा चौथ व्रत के प्रताप स्त्रियों को अखंड सौभाग्यवती रहने के वरदान मिलता है।करवा माता उनके सुहाग की सदा रक्षा करती हैं और वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है।
इस दिन रहेंगे ये खास योग मृगशिरा नक्षत्र बुधवार, सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ अमृत योग
व्रत का समय 01 नवम्बर बुधवार को सूर्योदय से रात्रि चंद्र उदय तक।
करवा चौथ का पूजन शाम को 05:36 बजे से शाम 06:53 बजे तक।
करवा चौथ का चंद्रोदय मैदानी क्षेत्रों में रात 08:20 पर पर्वतीय क्षेत्रों में रात्रि 08:40 बजे पर होगा।