Saturday, November 23, 2024

जिनवाणी आत्मा को हल्का बना खोलती सद्गति का द्वार: इन्दुप्रभाजी म.सा.

लोभ से हमेशा बचे, नहीं भूले हमारे जीवन का लक्ष्य: समीक्षाप्रभाजी म.सा.

सुनील पाटनी/भीलवाड़ा। जिनवाणी केवल भक्ति का ही माध्यम नहीं बल्कि ये हमारे कर्मो की निर्जरा करने के साथ आत्मा का बोझ भी हल्का करती है। आत्मा जितनी हल्की होती जाएगी उतना सद्गति प्राप्ति आसानी होती जाएगी। जिनवाणी से दूर होकर पाप कर्म करते रहे तो आत्मा भारी होकर हमारी दुर्गति का कारण बन जाएगी। ये विचार भीलवाड़ा के चन्द्रशेखर आजादनगर स्थित रूप रजत विहार में मंगलवार को मरूधरा मणि महासाध्वी श्रीजैनमतिजी म.सा. की सुशिष्या वात्सल्यमूर्ति महासाध्वी इन्दुप्रभाजी म.सा. ने नियमित चातुर्मासिक प्रवचन में व्यक्त किए। उन्होंने जैन रामायण का वाचन करते हुए भगवान राम के वनवास से जुड़े विभिन्न प्रसंगों की चर्चा की। महासाध्वी इन्दुप्रभाजी म.सा. ने बताया कि एक नवम्बर से दीपावली तक प्रतिदिन दोपहर 3 से 4 बजे तक पुच्छीसुणम की आराधना रूप रजत विहार में होगी। धर्मसभा में उत्तराध्ययन सूत्र की 21 दिवसीय आराधना के सातवें दिन तत्वचिंतिका डॉ. समीक्षाप्रभाजी म.सा. ने आठवें अध्याय कापिलीय की चर्चा करते हुए कहा कि कर्मो की गति विचित्र है। समय कब पलटा खा जाए पता ही नहीं चलता। जो कर्तव्य के आंसूओं को भूलकर स्वार्थ के आंसूओं में डूब जाता है वह अपने मार्ग से भटक जाता है। लोभ पाप का मूल होने से हमेशा लोभ से बचे। जैसे-जैस लाभ बढ़ता है वैसे-वैसे लोभ भी बढ़ता जाता है। लोभवश ही व्यक्ति जीवन का लक्ष्य भी भूल जाता है कि मैं इस धरा पर किस लिए आया हूं। मन के विचार व्यक्ति को घूमाते रहते है ओर हम घूमते रहते है। अपना लक्ष्य हमे याद रहेगा तो जीवन में भटकाव नहीं आएगा। उत्तराध्ययन आराधना के माध्यम से 13 नवम्बर तक उत्तराध्ययन सूत्र के 36 अध्यायों का वाचन पूर्ण किया जाएगा। धर्मसभा में आगम मर्मज्ञा डॉ. चेतनाश्रीजी म.सा., मधुर व्याख्यानी डॉ. दर्शनप्रभाजी म.सा., आदर्श सेवाभावी दीप्तिप्रभाजी म.सा., तरूण तपस्वी हिरलप्रभाजी म.सा. आदि ठाणा का सानिध्य भी रहा। धर्मसभा में अतिथियों का स्वागत श्री अरिहन्त विकास समिति द्वारा किया गया। सचंालन युवक मण्डल के मंत्री गौरव तातेड़ ने किया। श्री अरिहन्त विकास समिति के अध्यक्ष राजेन्द्र सुकलेचा ने बताया कि नियमित चातुर्मासिक प्रवचन प्रतिदिन सुबह 8.45 बजे से 10 बजे तक हो रहे है। चातुर्मासकाल में रूप रजत विहार में प्रतिदिन सूर्योदय के समय प्रार्थना, दोपहर 2 से 3 बजे तक नवकार महामंत्र का जाप हो रहा है।

सर्वव्याधि निवारक घण्टाकर्ण महावीर स्रोत का जाप

रूप रजत विहार में मंगलवार को सुबह 8.30 बजे से सर्वसुखकारी व सर्वव्याधि निवारक घण्टाकर्ण महावीर स्रोत जाप का आयोजन किया गया। मधुर व्याख्यानी डॉ. दर्शनप्रभाजी म.सा. एवं तत्वचिंतिका डॉ. समीक्षाप्रभाजी म.सा. ने ये जाप सम्पन्न कराया। इसमें भाग लेकर श्रावक-श्राविकाओं ने सभी तरह के शारीरिक कष्टों के दूर होने एवं सर्वकल्याण की कामना की। चातुुर्मासकाल में प्रत्येक मंगलवार को सुबह 8.30 से 9.15 बजे तक इस जाप का आयोजन हो रहा है।

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