अब न मुझे तुम और तरसाना,
ऐ चांद! तुम जरा जल्दी आ जाना।
सोलह श्रृंगार कर आज सजी हूं मैं,
पिया के लिए फिर निर्जल रही हूं मैं।
मेरे पिया को तुम लंबी आयु दे जाना,
ऐ चांद! तुम जरा जल्दी आ जाना।।
प्रेम का यह पर्व है सच में बहुत महान,
हर सुहागिन के दिल का है अरमान।
भूखी-प्यासी मैं तेरा इंतजार करूंगी,
छलनी से तुम दोनों का दीदार करूंगी।
पिया मिलन में न अब देर लगा जाना,
ऐ चांद! तुम जरा जल्दी आ जाना।।
दर्शन कर दोनों का मैं पूजन करूंगी,
पूजा आरती कर चरण वंदन करूंगी।
पति के हाथ से फिर मैं पानी पिऊंगी,
जब मरूंगी तब सुहागन ही मरूंगी।
तुम मेरा सुहाग अब अमर बना जाना,
ऐ चांद! तुम जरा जल्दी आ जाना।।
डॉ. अभिलाषा श्रीवास्तव
सहायक प्राध्यापक हिंदी
अंबाह स्नातकोत्तर महाविद्यालय
अंबाह मुरैना ( मध्य प्रदेश)