Sunday, November 24, 2024

अन्तर्मना आचार्य श्री प्रसन्न सागर जी महाराज के प्रवचन से…

यदि मान, सम्मान, इज्ज़त, प्रतिष्ठा नहीं बना पा रहे हो,
तो कोशिश करो जो बनी है, वो खराब नहीं हो पाये..!

इच्छाओं और अभिलाषाओं की उड़ान भरने से पहले अपने विजन की सुरक्षा कर लेना चाहिए। आज की तारीख में सुधार की भूख सबमें होनी चाहिए। हम हमेशा बोलते हैं, हम अपने आप को और सुधारेंगे, भगवान बनने का मार्ग सुधरने का ही मार्ग है। न्यूयॉर्क की सड़क पर एक संगीतकार को रोककर पूछा गया कि वह कार्नेगी हाल तक कैसे पहुँचा? संगीतकार ने जवाब दिया – हमने अपनी हर भूल को स्वीकार किया और अपना अभ्यास कभी बन्द नहीं किया। सिर्फ अभ्यास और अभ्यास। वास्तव में अभ्यास किसी भी योग्यता में माहिर होने की कुन्जी है। इसलिए अपनी इच्छा शक्ति को चुनौती देने के लिये हमेशा ही सम्मेदशिखर पर्वत जैसे ऊंचे संकल्प होना चाहिए। अभ्यास करके आप कोई भी असम्भव कार्य को सम्भव कर सकते हैं।

सफलता के लिए तीन बातें :-
🔸 जो कार्य हाथ में लिया है, उसे बाखूबी से पूरा करना।
🔸 जो आपने जाना, समझा और सीखा है, उसका अभ्यास करना।
🔸 जो भी कार्य करें संकल्प, इमानदारी और कर्त्तव्य निष्ठ होकर करें।

यदि ये तीन बातें आत्मसात् कर ली तो फिर असफ़लता से बच जाओगे ।
नरेंद्र अजमेरा पियुष कासलीवाल औरंगाबाद

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